कादम्बिनी | Kadambini
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
116
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कानन
दीन-मलीन विश्व की छाया
कभी न तुमका छूती हें;
राजहंसनी सदा तुम्हारे
प्रम्लोक की दूती है।
ह। तुम जग-जीवन अम्लान,
हे कानन कल-कान्ति-निधान !
जब प्रमी पद-चिह किसी
खाज-खाज थक जाता
নন विश्राम तुम्हारी ही मृद
गादी में वह पाता हैं।
>“ क,
हा सुख-शान्ति-सदन उविमान,
हं कानन कल-कान्ति-निधान !
पशुओं के विश्राम-सदन हो
वन-विहगों के क्रीड़ा-स्थल;
शोभागार सरस सुमनों के
हो चंचल पर अटल, अचल ।
शैलों के सुन्दर परिधान,
हे कानन कल-कान्ति-निधान !
९
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