कृतिकर्म | Kriti Karam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
386
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)১১১৬ (७) .. चूहत्रवयंभूस्तो तम्
स्वान् ॥ । १॥ विभिविंषक्रप्रतिषेथरूपः प्रमाणमत्रान्यतरत्पधानम् |
गुणोउपरो सुख्यनियामहेतुरंयः सद्श्ाग्तसमथनस्ते (५२)
विवक्षितो मुख्य इतीष्यतेऽन्यो गुणोऽविषर्ो न निगत्मङस्ते ।
तथारिमित्रातुमयादिशङ्गिद यावधि; कायं हि वस्तु ॥५३॥
द्ान्त(सद्धाबुम्योषिषादे साध्यं ग्रांसदृध्येन्न तु ताथगारत |
यत्सवंथैक्ान्तनियामरष्ट' बर्दायर£्विभवर्य शेषे ॥४४॥ एका.
न्तदृश्प्रितिषेधसिद्धिन्ययिषुमिभोंधरिपु' निरस्य |. असिसम
केवल्यविभ।तसम्र।ट ततस्त्वमहन्नसिमे रतव.हं! ॥४४॥
॥ इति श्र याज्ि सस््तोत्म् ॥!
शिवासु पृज्यो 5भ्युदयक्रियासु त्व वासुपृज्य स्त्रिदशेन्द्रपूज्य:।
मयापि पूर्योऽल्पधिया स्नीन्दर दीपाचिंषा कि. तपनो न पृज्य
४६, न पृजयाथस्लथि बीतरागे न निन्दथा नाथ विवा-
न्तवेरे । तथापि ते पृण्यगुरंस्मृतिनः पुनातु चित्त' दुरिता-
नेभ्थः ॥५७॥ पूज्यं जिन त्वा्चययतोीं जनस्य, सावथलेशो
बहुपुएयराशो । दोषाय. नालं कणिका লিঘজ্য ন दृषिका शीत-
शिषाम्बुराशो ॥५८॥ यद्वस्तु वाष्च' गुणदोषद्यतेनिमित्तमभ्य-
न्तरम्लहेतो! । अध्यात्णवृत्तस्य तदड्नभृतमस्णंतर ,कैवलमप्यलं
ते ॥५६॥. शा तरोपाधिसमग्रतेयं कायषु ते द्रव्यगत॒ःस्त मात्र
नैवान्यथा मोष्बिषिश्च पु तेनाभिवन्धस्वग्िडनध्॥६०
= ` ॥ इतिकंसुबूज्पस्तोत्मू !। ২. ১
थ एवै नित्यक्षणिकादयो नया सिथोऽनपेचाःसपरप्रणा-
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