पुराणसारसंग्रह भाग - 1 | Puran Saar - Sangrah Bhag - 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Puran Saar - Sangrah Bhag - 1  by गुलाब चन्द्र जैन - Gulab Chandra Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गुलाब चन्द्र जैन - Gulab Chandra Jain

Add Infomation AboutGulab Chandra Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
भरतका नगरमें प्रवेश पञ्चम सगे आदिनाथका धर्मोपदेश व निर्वाणकल्याणक निर्वाण कल्याणककी पूजा बृषमसेन गणधर द्वारा भरत चकवर्तीको सम्बो- घना और अपने सहित सबके पूवं भव कहना भरत आदिका वैराग्य व मुक्तिलाम भगवानका तीथ॑-प्रवतैन काल पुराणका लक्षण भगवानके दश भवका क्रमनिर्देश ' चन्द्रप्रम चरसि भीपुरके राजा भ्ीषेण ओर भ्रीमतीकी कथा श्रीमतीको स्वप्नोंके फल्लस्वरूप श्रीवर्मा पुत्नकी प्राप्ति भीवर्माको रानी भीकान्तासे भीधर पुत्रकी प्राप्ति श्रीषेणका दीक्षित होना व भ्रीवर्माको राज्य-प्राप्ति श्रीवर्माका उल्कापात देखकर विरक्त होना श्रीवर्माका भीप्रभ विमानमें भीघर नामका देव होना भीघरदेवका अजितंजय ओर भ्रीदत्तारानीके यहाँ अजितसेन नामका पुत्र होना अनितसेनको जयदा रानीसे जितशघ्ु नामक पुत्रकी সামি अजितसेनको चक्ररत्नकी प्राप्ति तथा दिग्विजय श्रनितसेनका दीक्षित हो शरीर त्यागकर श्रच्युत कल्पमें प्रतीन्‍्द्र होना अ्रच्युतेन्द्रक्मा कनकाभ राजा तथा कनकमाला रानीके घर पश्चननाम नामक पुत्र होना ६२ ६४ ८, ६८ ७ ৬৫ ৩৮ ६३ ६५ ९६६ ६६ ७१ ওই ७५ ७८५ ७७ ७७ ৩৩ ७६ ७९ ८१ ८१ ८९ ८१ ८१ ८




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now