सर्वोदय यात्रा | Sarvoday Yatra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
155
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य विनोबा भावे - Acharya Vinoba Bhave
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीन
उतने ष्ठी शब्दो मे ओर उतनी दी तटस्थता से उन्होने कदा, “अच्छा, म
आता हूँ |” जवाब का उच्चारण करने के पहले उहोने पूछ लिया कि
समेलन-स्थान यहंसि कितनी दूर हे | जवाब मिला--तीन सौ मीझ समझ
लीजिये | विनोबाजी के आने की बात सुन कर सबको आनंद हुआ, लेकिन
गायद ही क्रिमी करे खबाहू भे आया हो कि विनोवाजी समभेलन में
पैदछ आवेगे |
अपवाद भी नहीं
ब्रैठक के बाद तुरत ही आश्रम की प्राथना थी। प्रार्थना के अत
मे बिनोबाजी ने समेलन में जाने की बात का जिक्र किया ओर कहा कि
“कल सुत्रह यहाँ से परधाम जाने का पहले से तय दही दै, बहासे परसो याने
८ तारीख को समेलन के लिए, पदक निकरल्गा | वाहन का उपयोग न
करने का मैने कोई जग नहीं लिया हे और अश्रोच्छेद की मेरी कल्पना भे,
जो कि आज सुबह की प्रार्थना में भेने कही है, रेलवे आदि का परित्याग
अनिवार्य है ऐसी भी बात नहीं हें, फिर भी भैने पेंदक जाने का ही तय
किया है। क्योंकि जो विचार प्रूसा विकतित नहीं हुआ हें, जितका
सागोपाग दशन हम अबतक नहीं हुआ है, उस अधिकसित दशा मे
अपवाद करने की मेरी मनोजत्ति न्ीं है। इसलिए पैदछ के बजाय
बाहन से जाने के लिए मुझे कायल करने में मित्र छोग अपनी बूद्ि-शक्ति
न चला कर, पैदल यात्रा कैसे सुख्बकर-शुभकर होगी टसफा खयाल करें |”?
संवाग्राम-आश्रम का अम-जीवन-संकरूप
प्रार्थना के बाद निकठ्वती छोगो का यही काम रहा कि नक्शे
देख कर् क्रित रस्ते से, किन मुक्रामो से जाना आदि विनोवाजी मे तय
करे । दूसरे न्ग मिलने ओर एक तरह से बिदा लेने-देने के लिए आते-
जाति ये] ता० ७ करी सुबह की प्राथना में महादेवी नाई ने “जेथे जातो
User Reviews
No Reviews | Add Yours...