गल्प - पारिजात | Galpparijat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
973 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका |] गल्प-पारिजात १३
ही इनमें स कुछ की रचनाओं मे कहीं कहीं घाराप्रवाह
का उथनिक्रम, भावव्यंजना की उखड् पुस्, शब्दां ओर वाक्या
की शिथिल उठ-बैठ या उनका अलगविलगपन इस सीमा का
पहुँच गये हैं कि उन्हें ठीक किये बिना इनकी रचनाओं को
अवोध छात्रों के संमुख रखना अनुचित समझा गया हैं; सपादक
न रसे स्थलों पर भी यथेए्ट परिवतेन किया है । जह वाक्य बिन्यास
के औचित्य ही की अनुचित उपेक्षा की गई हो, वहाँ लिये और
मेद का और अलुखार तथा अनुनासिकाक्तरों
के सदपयोग का कहना ही क्या । इन बातों मे हस्तश्षप न कर
इन्द मालिक रूप में ही मुद्रित कर दिया गया हैं। टिदीकथा-
लेखकों के अधेबिराम, बिराम, डेश, हाइफन आद के उपयोग
को देखकर तो कस भी व्याकरणविद् का मस्तिष्क चकरा
जायगा; इन्हें भी कुछ स्थलों को छोड़ ज्ञेसे का तेसा छाप
दिया गया है ।
प्राथना और आशा है कि इस प्रकार की खटकने वाली
घ्रुटियों पर भविष्य मे हिंदीकथालेखक ध्यान देंगे झर कला
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और भावों की द्टि से भव्य संपन्न हुई अपनी रचना ओं को
भाषा की दृष्टि से भी परिमार्जित तथा परिपूत बनाने का
प्रयत्न करेंगे ।
হল हार्दिक प्राथना के साथ हम उन सब कथालेखकों
कते कोटिशः धन्यवाद देते हें, जिनकी मनोरंजक कहानियाँ
वारिजञात में उद्छुत की गई हैं। परमात्मा करे, उनकी रतिर्यो
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