कबीर साहेब की शब्दावली | Kabir Saheb Ki Shabdawali
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
140.07 MB
कुल पष्ठ :
359
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दे सतयुरु और शब्द महिमा कि
॥ शब्द ११
ताहि' मारि लगन लगाये रे फ़िकिरवा ॥ टेक ॥ >
से(वत ही में अपने में दिर में , सब्दन मारि जगाये रे (
..... बढ़त ही भव के सागर में , अहियाँ पकरि सुमुक्ताये रे(फ०)
एके बचन बचन नहि दूजा, तुम मेसे बंद छुड़ाये रे(फ०)
1) हैं कबीर सुना भाइ साथ, सत्तनाम गुन गाये रे(फ०) ॥9
॥ शब्द २२ ॥
गुरू माहि घुंटिया अजर पियाइं ॥ टेक ॥
जब से गरु माहिं चुटियापियाईं, मई सुचित मेठी दुखिताद ९
....... नाम जौषधो अघर कटोरी, पियत अघाय कमति गट्ठ मारो २॥।
ब्रह्मा बिस्न पिये नहिं पाये, खेजत संभू जन्म गँवाये ॥३॥।.. * '
....... सुरतसिरत कर पिये जा का हे, कहेँ कघोर अमर हेय सेईं।।£
॥ शब्द ३ ॥
जिनकी लगन गरू से नाहीं ॥ टेक ॥।
जगन्नाथ
जैसे फल उजाड़का लागेा, बिन स्वारथ भरि जाई
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कि मन लर्नरिपाजनेक खिल पकलप्िसिपएत करा पा एन 26 महरि सक पर तन सं ीसिवल का धिम0 ही 0०000 लापता! तल फिककस पििफपशि!
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