कबीर साहेब की शब्दावली | Kabir Saheb Ki Shabdawali

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Kabir Saheb Ki Shabdawali by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दे सतयुरु और शब्द महिमा कि ॥ शब्द ११ ताहि' मारि लगन लगाये रे फ़िकिरवा ॥ टेक ॥ > से(वत ही में अपने में दिर में , सब्दन मारि जगाये रे ( ..... बढ़त ही भव के सागर में , अहियाँ पकरि सुमुक्ताये रे(फ०) एके बचन बचन नहि दूजा, तुम मेसे बंद छुड़ाये रे(फ०) 1) हैं कबीर सुना भाइ साथ, सत्तनाम गुन गाये रे(फ०) ॥9 ॥ शब्द २२ ॥ गुरू माहि घुंटिया अजर पियाइं ॥ टेक ॥ जब से गरु माहिं चुटियापियाईं, मई सुचित मेठी दुखिताद ९ ....... नाम जौषधो अघर कटोरी, पियत अघाय कमति गट्ठ मारो २॥। ब्रह्मा बिस्न पिये नहिं पाये, खेजत संभू जन्म गँवाये ॥३॥।.. * ' ....... सुरतसिरत कर पिये जा का हे, कहेँ कघोर अमर हेय सेईं।।£ ॥ शब्द ३ ॥ जिनकी लगन गरू से नाहीं ॥ टेक ॥। जगन्नाथ जैसे फल उजाड़का लागेा, बिन स्वारथ भरि जाई ५1. , 01 कि मन लर्नरिपाजनेक खिल पकलप्िसिपएत करा पा एन 26 महरि सक पर तन सं ीसिवल का धिम0 ही 0०000 लापता! तल फिककस पििफपशि! न




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