तत्त्व चिन्तामणि - भाग 1 | Tatv Chintamani : Bhag 1

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Tatv Chintamani : Bhag 1 by श्री शुक्लचन्द्र जी महाराज - Shree Shuklchandra Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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_काय লু 9 वनी ५ ८ | 'तीमग घोल ' प्र काय क्‍या है ? 7 भौदारिक भादि विविध पुदुगा में बच हुए पिविध प्रतार शर्रीए का धारण परते सम जीवा व जो गाता समृद् बन पये है... बहु वाय बहताता है ।' ये छह श्रवार के है ॥ 2 १ प्रद्यी वाय , ४ वपायू साय ८, > श्रप्याय ५ पमस्पढ़ि बाय ~ > “3 तनम्साय ६ प्रमकाय ~ পাশা ৯০ न+ ९ का परिभाषा ডি জ + श्वाय वा গথ है टारार याग्य पुदूगलो था रचना भौर बूद्धि “चीयते>नैनेति वा बाय | भयवा औटारिय णविश-येभा रुप पुल्गल। पी रचना-- समृह वाया है-डऔरत यवा गस्ममौटीारिगर करी भगदा कप -कयनयनद्न दष । ५ কম जीवे वा रहने | लिये प्रिसी मं मिस 'भ्रांवस वी प्राय”्यकता हाती ही है जिस प्रतार নশাঘ নী আগ কী পর) जीव विभिन्न हरीर योग्य पुदूगला से निमित घरीर में निवास মলা है। शरार जिम से बना है उन पुदूगला या एक्त्रिय हाना-सपात শশা শশা म्य रीका पुलकी काण যার ছাপ উস स्म बाड़ হলের काए, ठग काए ध ~ ४८




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