आकाश कितना अनन्त है | Aakash Kitana Anant Hai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्राकाश कितना श्रनन्त है || १७ “श्राप तो, श्रीमती शर्मा, 'सीरियस' होने लगीं ।” गीता पाल ने श्रीमती शर्मा के किंचित सख्त पडते हुए चेहरे को वच्चो को सी शरारत के साथ सहला दिया, तो श्रीमती शर्मा फिर हँस पड़ने और खाँसने को लाचार हो गई । “मैं तो समभती हूँ, श्रमी श्राप छव्वीत-सतार्ईस से प्रागे नहीं होगी । यों एक खास तरह की गम्भीरता श्रापकी श्राँखों में जरूर श्राती जा रही हैं, मिस पाल [” “ग्रे, सिस जायसवाल ! श्राप भी किस फेर में पड़ गई !” श्रीमती सक्सेना बोलीं-- किसी शायर ने जो कहा हैं कि किसी औरत की उम्र पर न जाइए” यों ही नहीं कहा हैं। रह गईं मिस पाल की श्राँखों में गम्भी रता के श्रा जाने की बात । जिस फ्रेंच लेखक के उपन्यास का जिक्र मैं आप लोगों से कर रही थी, उसमें लेखक मिसेज मार्था (नायिका) को मनोदशा के बारे में कहता है कि प्रेम में विफल होने के वाद इस तरह की रहस्यमय गम्भीरता औरतों को श्रपने से कम उम्र के लोगों की ओर भ्राक- घित करती हैं । ऐसे में वह कहावर पौरुप की जगह ऐसी कोमलता को पसन्द करने लगती हैं, जिसे वे संरक्षण दे सकें 1....प्रागे वह लिखता है.... “यानी माँ बनना चाहती हैं ?” श्रीमती शर्मा ने बात साफ की । “जी नहीं, वल्कि ऐसे प्रेमी की तलाश में रहती है, जिसे वह माँ की तरह प्यार कर सके । मैने श्राप लोगों को बताया नहीं था कि उस उप- न्यास की सैंतीस साला नायिका का शअ्रंतिम प्रेम एक उन्नीस वर्ष के श्रनु भव- हीन लेखक से हो जाता ह श्रौर कमाल यहु देखिए भ्रगले साच ही वह मा बन जाती है और कुछ ही अरसे के बाद दोनों में तलाक भी हो जाता हे + “यहाँ इस तरह की घटनाय होने लगे, तो ह्ला मच जाये....लेकिन उसकी उम्र तो उन्‍्नीस नहीं, कुछ ज्यादा लगती है ।” “यहाँ के पुरुष-समाज से भी ज्यादा रूढ़िवादी श्रौरतों की जमात है । अरे, हम लोगों के कालेजों के ही वातावरण को देख लीजिये । मुझे याद




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