अगम महल मतवारा | Agam Mahal Matwara
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
922 KB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ऐसे में ही एक अकेला-
संत धरा पर आया;
उसने जग की नई राह पर-
नव आलोक जगाया।
वह कबीर जो परम साधु था-
ज्योति जगाने वालाः;
भटक रहे प्राणी को नूतन-
राह दिखाने वाला।
जिसके सत्य वचन के आगे-
जन-जन थे झुक जाते;
दिनमणि भी रथ के सँग पथ पर-
अनायास रूक जाते।
उसे प्रणाम करें हम पहले-
सादर शीश झुकाकर;
नश्वर जग में गीत अनश्वर-
मुक्त हृदय से गा कर।।
अगम महल मतवारा ४: 5
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