बीजगणित भाग 1 | Bij Ganit Bhag-1

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Book Image : बीजगणित भाग 1 - Bij Ganit    Bhag-1

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मोहनलाल - Mohanlal

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शांति नारायण - Shanti Narayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्ढ ः नीजगशित विषेवसभ्यता के सौभाग्य से इन दोनों झावव्यकत्ताओं की पूर्ति करने वाली विधि का झावि- ष्कार भारत में हिन्दुस्ों ने किया । स्थान-मान पति के नाम से प्रसिद्ध इस विधि से हम किसी भी नियत धन-संख्या को थोड़े से परिमित प्रतीकों हारा अभिव्यकत कर सकते हैं । साथ ही इस विधि के ग्रहण से संख्याश्ों के योग श्रौर गुणुन की प्रक्रियाएँ सरल हो जाती हैं । स्थान-मान पद्धति की प्राधारशूत घारणा से किसी भी धन-संख्या को दो पथवा श्रधिक मूल प्रतीकों से प्रस्तुत किया जा सकता है । मूल प्रतीकों की विभिन्‍न संख्याश्रों के प्रयोग से विभिन्‍न पद्धतियाँ बनती हैं । ये पद्धतियाँ विभिन्‍न संख्यान पड़तियाँ भी कहलाती हैं । इनमें सर्वाधिक प्रचलित दशभलव पढ़ ति है । इस पद्धति में 0 प्रतीक के साथ निम्नलिखित नौ प्रतीकों का प्रयोग होता है 1 2 3 4 6 6 7 8 9 0 प्रतीक को हिन्दुओं ने शून्य कहा श्रौर इसी को श्रंग्रेजी भाषा में जीरो 2७70 कहते हैं । उदाहरणायें संख्या तीन सौ सैंत।लीस को दशमलव पद्धति में 344 लिखा जाता है । इस प्रकार 348 910 10--4 10 न न्ल820100--4 10 इसमें प्रज्तीक 3 4 7 क़रमदा . 3 सैकड़ों & दहाइयों 7 इकाइयों के लिए हैं। प्रतीक 8 # 7 के स्थानों को बदलने पर निम्नलिखित संख्याएँ बन जाती हैं 38210 ऋ10--1 110-ु4ल्स891100--7 110--4 31 नल ६10 10--8 10--1न्ल 100 --8 9६10 पा 48-10 10 चुप 10--वस्ट 100 ना 10 4-8 पवन १10 १10--8 90 10--4स्‍्टा ६100--8 9010-44. पकछन्ता 10 10न-4क 10--8न्त 3 100--% 10 4-8 इन तीनों अंकों में से दाई श्रोर का प्रथम भ्रंक इकाइयों को उसके बाई शोर झगला अंक दहाइयों को झऔर उसके भी बाई श्रोर का झंक दस दहाइयों सैकड़ों को व्यक्त करता है । एक झौर उदाहरण लीजिए । धन-संख्या तीन सी चार को ददमलव पद्धति में 304. लिखेंगे । इस प्रकार इसमें चार इकाइयाँ श्रौर तीन सैंकड़े हैं परंतु दहाई कोई नहीं । दूसरे धाब्दों में ं 304न्ली 2६10 ६10--4ल्ल8 ६100-4-4. इसी भाँति छात्र 587 39 5899 जैसी कुछ संख्पाएँ विस्तृत रूप में लिखें । स्थान-मान पद्धति के श्रचुसार धन-संख्याश्रों को व्यक्त करते के लिए प्रतीकों की किसी लिशेष




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