कवि रहस्य | Kavi Rahasy
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महामहोपाध्याय गंगानाथ झा - Mahamahopadhyaya Ganganath Jha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुरुषनामोल्लेख के बिना किसी समय में ऐसा हुआ' ऐसे आख्यान को
“पुराकलप' कहते हैं ।
२. आन्वीक्षिकी--तकश्षास्त्र ।
३. वेदिक वाक्यों की १,००० न्यायों द्वारा विवेचना जिसमें की
जाती है, उस शास्त्र को मीमांसा' वहते है । इसके दो भाग हँ--विधि-
विवेचनी (जिसे हम लोग पूर्वमीमांसा! के नाम स जानते हु) ओरं व्रह्म
निदर्शवों (जिस हम लोग ब्रह्ममीमांसा या वेदान्त' कहते है) । यद्यपि
१,००० के लगभग न्याय वा अधिकरण केवल पूर्वमीमांसा में है ।
४. स्मृतियां १८ हैं । इनमें वेद में कही हुई बातों का स्मरण
है---अर्थात वैदिक उपदेशों को स्मरण करके ऋषियों ग्रन्थों को लिखा
है--इसी से ये स्मृति कहलाते हैँ ।
इन्हीं दोनों (पौस्पय तथां अपौरुपय) आास्त्र' के १४ भेद हँं--
वेद, ६ वेदांग, पुराण, आन्वीक्षिकी, मीमांसा, स्मृति । इन्हीं को १४
'विद्यास्थान' कटा है--
पुराणन्यायमीमांसाधमंशास्त्रांगमिश्रिताः ।
वेदाः स्थानानि विद्यानां धमंस्य च चतुदश ॥
(याज्ञवल्वय )
[इसमे न्याय = आन्वीक्षिकी; धस॑शास्त्र = स्मति|
तीनों लोक के सभी विषय इन १४ विद्यास्थानों के अन्तर्गत हैं ।
शास्त्र' के सभी विद्यास्थानों का एक-मात्र आधार काव्य ₹--
जो वाइमय' का द्वितीय प्रभेद हैं । काव्य को ऐसा मानने का कारण
यह है कि यह गद्यपद्यमय है, कविरचित हैँ, और हितोपदेशक है । यह
काव्य' शास्त्रों का अनुसरण करता हैं ।
कुछ लोगों का कहना हे कि विद्यास्थान १८ हें। पूर्वोक्त १४ और
उनके अतिरिक्त--१५ वार्ता, १६ कामसूत्र, १५ रित्पशास्त्र, १८
दण्डनीति । ( वार्ता = वाणिन्य-कृषिविद्या, दण्डनीति = राजतन्त्र ) ।
आन्वीक्षिकी, त्रयी, वार्ता, दण्डनीति--ये चारो विद्या' कहलाती हैं ।
আজ ५ (সন
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