कवि रहस्य | Kavi Rahasy

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : कवि रहस्य  - Kavi Rahasy

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about महामहोपाध्याय गंगानाथ झा - Mahamahopadhyaya Ganganath Jha

Add Infomation AboutMahamahopadhyaya Ganganath Jha

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पुरुषनामोल्लेख के बिना किसी समय में ऐसा हुआ' ऐसे आख्यान को “पुराकलप' कहते हैं । २. आन्वीक्षिकी--तकश्षास्त्र । ३. वेदिक वाक्यों की १,००० न्यायों द्वारा विवेचना जिसमें की जाती है, उस शास्त्र को मीमांसा' वहते है । इसके दो भाग हँ--विधि- विवेचनी (जिसे हम लोग पूर्वमीमांसा! के नाम स जानते हु) ओरं व्रह्म निदर्शवों (जिस हम लोग ब्रह्ममीमांसा या वेदान्त' कहते है) । यद्यपि १,००० के लगभग न्याय वा अधिकरण केवल पूर्वमीमांसा में है । ४. स्मृतियां १८ हैं । इनमें वेद में कही हुई बातों का स्मरण है---अर्थात वैदिक उपदेशों को स्मरण करके ऋषियों ग्रन्थों को लिखा है--इसी से ये स्मृति कहलाते हैँ । इन्हीं दोनों (पौस्पय तथां अपौरुपय) आास्त्र' के १४ भेद हँं-- वेद, ६ वेदांग, पुराण, आन्वीक्षिकी, मीमांसा, स्मृति । इन्हीं को १४ 'विद्यास्थान' कटा है-- पुराणन्यायमीमांसाधमंशास्त्रांगमिश्रिताः । वेदाः स्थानानि विद्यानां धमंस्य च चतुदश ॥ (याज्ञवल्वय ) [इसमे न्याय = आन्वीक्षिकी; धस॑शास्त्र = स्मति| तीनों लोक के सभी विषय इन १४ विद्यास्थानों के अन्तर्गत हैं । शास्त्र' के सभी विद्यास्थानों का एक-मात्र आधार काव्य ₹-- जो वाइमय' का द्वितीय प्रभेद हैं । काव्य को ऐसा मानने का कारण यह है कि यह गद्यपद्यमय है, कविरचित हैँ, और हितोपदेशक है । यह काव्य' शास्त्रों का अनुसरण करता हैं । कुछ लोगों का कहना हे कि विद्यास्थान १८ हें। पूर्वोक्त १४ और उनके अतिरिक्त--१५ वार्ता, १६ कामसूत्र, १५ रित्पशास्त्र, १८ दण्डनीति । ( वार्ता = वाणिन्य-कृषिविद्या, दण्डनीति = राजतन्त्र ) । आन्वीक्षिकी, त्रयी, वार्ता, दण्डनीति--ये चारो विद्या' कहलाती हैं । আজ ५ (সন ১




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now