धर्म तत्त्व | Dharm Tatv
श्रेणी : धार्मिक / Religious, साहित्य / Literature
लेखक :
रायबहादुर शुखदेवविहारी मिश्र - Raibahadur Sukhdev Bihari Mishra,
श्यामबिहारी मिश्र - Shyambihari Mishra
श्यामबिहारी मिश्र - Shyambihari Mishra
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.49 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
रायबहादुर शुखदेवविहारी मिश्र - Raibahadur Sukhdev Bihari Mishra
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श्यामबिहारी मिश्र - Shyambihari Mishra
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धघमेतत्व पर सा विचार ९ केवल उस में सजीवता विशेष है । घटक में छुछ परमारुओों के झतिरिक्त सजीवता भी है जो उसे उन वस्तुओं से प्रथकू करती है जो जीव के अतिरिक्त उस में पाई जाती हैं। सजीवता भी एक शक्ति दी है सो इस निर्जीव तथा सजीव दोनों प्रकार की प्रकृति को शक्ति-समुदाय के रूप में पाते हैं । संसारोत्पादन छात्र अपने झायोजनशतिवाद की डोर इम फिर से उठाते हैं। दस ऊपर देख थाए हैं कि इच्छा का सानना परमात्मा में झमावात्मक विचार लाकर उस सें कमी स्थापित करता है। हम यद्द सी देखते हैं कि परसारणु झौर घटक दमारे सामने ऐसे हैं जिन में शुरुताकर्पण संसक्ति केशाकपण स्पंदन छादि की छनेक शक्तियाँ हैं। इन्दीं के संमिश्रण से उन्नति करता हुआ यह संसार बना है । परमाणु पहले से थे और उन के प्रभाव से उन्नति करता हुझा संसार जब जीवधारण के थोग्य हुछा तब घटकों की उत्पत्ति हुई जिन से इतर सजीव देद्दधारी बने । छांदोग्योपनिषत्त का विचार ऊपर लिखा जा चुका है कि परमात्मा के तप द्वारा यदद संसार वना । प्रयोजन यह लिया जा सकता है कि परमारणुओं में जो विविध प्रकार की शक्तियाँ सदा से थीं उस से जो घटनायें नियमाछुसार घटी उन्हीं के कारण प्रथिवी सूये पंद्र नच्तत्र ञादि झसंख्य गोले पहले बने और वे ज्यों-ज्यों ठंडे होते गए और चायु आादि से परिवेष्रित दोते गए त्यों त्यों उन में जीवधारियों के रहने योग्य स्थान निकलते झाए । सूर्य में भी इतनी गर्मी है कि वद्दाँ कोई जीवधारी रद नहीं सकता । शनैश्वर और इदस्पति की पूरी गर्मी अभी दूर नहीं हुई है हमारे चंद्रमा में वायु दी नद्दीं है सो वद्दाँ न दो जल है छोर न जोचधारी हैं । वहाँ यदि कान के पास तोप दागी जावे तो भी उस का शब्द न सुन पढ़े १ यदि ब्छार्टिंग का एक संझ पानी में छुवावें तो पानी सोखा जाकर ऊपर ढ़ेगा । यह संसक्ति का उदाहरण है । १ किसी धस्तु का यूर चूर होकर गिर न जाना वरनू एक रूप में सच अणुओं को साथे हुए रददना केशाकर्पण का उदाहरण है ।
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