मैथिलीकल्याणं | Maithali-kalyanam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
111
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रस्तावना । |
नटी-कविअण्णओ व सख कव्वपरिस्समाभिण्णो |
सूत्रधार --अगोचर. खल्वय प्रथग्जनस्य । कुत ।
नासाम्राहितलोचनो नियमितारेषद्रियोपष्रवो
नि.संबाधविविक्तवासनिरतो ध्यानेकतानः कविः ।
यत्स्वात्मन्यपरापदेशाविषयं वस्त्वं तरं केवलं
स्वनांतःकरणेन पक्ष्यति सुखी तत्केन वा ज्ञायते ॥ ३ ॥
किच---
अनादृत्य श्रत्वा चलयति शिर: कश्चन शने-
विजिल्याक्ष: पश्यन् विहसति च पाइ्व॑ंस्थमपरः ।
प्रसाद सूक्तीनामकरतस॒ुकृत कृत्रिम त कृत्रिमबुघ
किमीष्ट निर्वेछू दुरधिगमभावा हि कवयः ॥ ४॥
नदी-- अज सुहु भणिञं ।
सूजधारः-- आयं तदिदानी गप्रसाधनरतोरिममव मकरकेतनकीर्ति-
प्रसरसुकुमार्चद्विकामिराम मलयपवनाशिथिलिताविरहिजनधेयग्रंथिं
मदनमागधमधुपगानावमानितमार्निनिमानग्रहमभ्यगत्रिकसत्सहकारकोरक-
शिखापप्पिरितङ्कसुमराग्डागधिरधं सवुरधमानात्कलिकरासहस्रमज्नत्कामिलोक
वर्तमानरमणीय वसतसमयमःक्रत्य गीयतां तावत् ।
नठी--अज्न तहा । ( गायति )
वासंतिणहि बहु महु,-धाराणस्संदविदुसिसिंर हिं ।
मंदाणिद्धदि रुणा हदासदि दिवा ससिसणादा ॥ ५ ॥
सूजधारः-- आय सुष्र॒ गीत । विहरति चक्रवाकमिश्न सुखेन पुलिना
कणेषु सरसां रमयति पद्चिनीषु रमणी सलीलमिह रा जहंसरसिकः । मधुस-
१ कविजना वा खट् कान्यपरिश्रमीभिन्ना । २ आय सघ भणितम् । ३ आये
तथा । ४ वासतिकर्बहु मधुधारानिष्पत्रविरदाशिधिरै । मदानठैराच्छादिता भविष्यति
दिव शदिसनाधा ।
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