आस्था के स्वर | Astha Ke Swar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Astha Ke Swar by डॉ. श्याम सिंह शशि - Dr. Shyam Singh Shashi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ. श्याम सिंह शशि - Dr. Shyam Singh Shashi

Add Infomation About. Dr. Shyam Singh Shashi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जब तक उसकी मानसिक दासता सपाप्त नहीं होती, वहु सच्ची स्वतत्रता का अनुमव नहीं कर सकता । श्रापकी मान्यता है कि समस्या चाहे युद्धकौदहौ श्रयवा श्रकाल की, वेकारी की हो या भुखमरी की, शिक्षा की हो भ्थवा अनुशासन की और राजनीति की हो या श्रर्थनीति की--सवके मूल मे राष्ट्र का गिरता हुआ नेतिक स्तर, चारित्रिक पतन, मानवीय श्रखण्डता श्रौर एकता के दृष्टिकोण का अमाव ही है। जिस राष्ट्र का चरित्र-बल सुदुढ होता है, उस पर कोई भी समस्या हावी नही हो सकती । इन्ही सब कारणो से प्रापने अणुक्रत-भ्रान्दोलन का प्रवर्तन किया। आन्दोलन को प्रथम अधिवेशन चादनी चौक, दिल्‍ली में हुआ, जिसकी क्रातिकारी प्रतिक्रिया भारत में ही नही, पश्चिमी देशो में भी वडे तीज रूप में हुई । देश-विदेश के अनेक पत्र-पत्रिकाओ मे ्रणुद्रत-प्रनुश्चस्ता तथा उनके दर्शन के बारे मे समाचार प्रकाशित हुए । भ्रणुक्रत-सन्देश को दूर-दूर तक पहु चाने के लिए आपने स्वय अनेक लम्वी-लम्बी पद-यात्राए की । एक जैन-मुनि होने के कारण पद-यात्रा आपका जीवन ब्रत है। किन्तु भारत के सुदूर श्रचलो तक होने वाले पदल-परिभ्रमण का श्रेय अण ब्रत को ही है। अ्रण्‌ व्रत-मारत के प्रचार- प्रसार के लिए न केवल आप स्वय हिमालय से कन्याकुमारी तक पदयात्रा से जन-जन तक पहु चे, किन्तु अपने ६५० साधु-साध्वियो के विज्ञाल सघ को भारत के हर प्रात, नगर और गाव-गाव मे नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यो के जागरणके लिए भेजा। श्राप श्रव तक लगमग चालीस हजार मील की पद-यात्रा कर चुके हैं । भारत के तत्कालीव राष्ट्रपति डॉ० राजेन्द्र प्रसाद अणुक्त- आ्रानदोलन से प्रारम्म से ही प्रभावित थे। स्वर्गीय पडित नेहरू से भी आपका मिलना अनेक बार हुआ । पडितजी का आन्दोलन से काफी लगाव था। वे हृदय से चाहते थे कि जब देश में चारो श्रोर भ्रष्टाचार और स्वार्थ-पोषण की भावना बढ़ रही है, इस प्रकार के आन्दोलनो का व्यापक प्रचार-प्रसार होता चाहिए। इसी तरह भारत के द्वितीय एवं तृतीय राष्ट्रपति सर्वपल्ली डॉ० राघकृष्णुन्‌ तथा डॉ० जाकिर हुसत एव स्वर्गीय प्रधानमन्त्री श्री लालबहादुर शास्त्री का भी अखा ब्रत-भ्रान्दोलत के लिए गहरा अनुराग था। इन राष्ट्र-पुस्पो ने व केवल अपना




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now