लाल चूनर | Laal Chuunar

Laal Chuunar by श्री रामेश्वर - Sri Rameshvar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धूप दीपक गन्ध का निर्माल्य त॒म साकार); ज्यों कुसुम्मी चाँदनी पहने दस्ति নহিখান। पल्लवित होती विरसता , भी तुम्हें प्रिय ! देख ; चेतना की तुम चरम परिणति, चरम आदान । तुम लदी कोमाय्य कलियों से लता सुकुमार; मुग्ध योवन और शैशव की नई. पहचान। तुम समीरण की सखीं शशि की सलोनी देह, रूप की तुम एक मोहक खान। ঈদ ০০ ২: পি तनोमि ৫ এ ছলে কচি णा त म न - সে ০ শা পা সপ ৯ পি यमानम चान कयत रतना निदो লব




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