बीसलदेव रासो | Bisaldev Raso

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Book Image : बीसलदेव रासो  - Bisaldev Raso

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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न दि न चंद 1 प्रकार--पुरागा; पूर्ण साधारयतपा ठोद 1 अधर-- देवनागरी । सुरक्षित रघान--पत्तियाटिक सौंपा दटी पुस्त- कानय ( घंगाए 2 वरुधा । पुव्यिद्ा सू दूति श्रोदी पल चौड़ाय को रास समाप्त | हंववू 1५७५ या (पल घी मादव पुरा मध्ये दिप्पते 1 शुप्म पथ 1. दोत्रवार साधवी सूनू फॉनी छिंपायों 11 सुरम्स थी गयुदायनता रउरिंपा लंदन सिमुवन सार । नाद मेड थारद टूर मण्दार । पुक दुंसठ मूपे झजददद 1 मुपपउ घाइय विलक मिंदूर । कर जोदी नरपति अणद् । जि करिं रोदिणों जिउतपद सूर | भवणन देसुरे रविव्नइ । सन्त--कनक काया जिसी कु इँ रो 1 कठिन पयोदर दम कचोद । केंदि गरम रूप की धाणी 1 घोरन ण्युघय मोदी नाफ 1 फडि मोटे घड़े गोरढी 1 उ्िका बिरद बेदना नछदे कोड । प्यु राना राणी मिस्पी । पु नारद कड़े सिदिज्यों ससु कोइ 2 रचनातिधि--सवत्‌ सदसठिहुत्तरे जाय 4 नाक कबीसर सरसीय यांग्दो ! रुण गुथ्या चोदाय का । सुरुव पद पचमी घाव मास । रोदियी नक्षत्र सोदामणी । सुदिन जिद जोदोयों रास ॥ [१३ ] यद मति योकानेर के छुपा वन्द्‌ सूरि- शान अमण्द्वार में ( दस्ता मं० ४२) हैं । इसकी पत्र संख्या के दे, थर छरनसख्या र४० है। इसका सेखस समय फाफुन बदि ९ शनियार स० 9७८६ है। थद मति सोकद ( मारवाढ़ा राज्य ) में लिस्दी गई थो । इसमें प्रन्थ का रचना काल *सदव सत्तरतिदोत्तर' दिया गया दे, जो स्ंभदतः पद तिद्दोत्तरे” के बदले भूल से लिख दिया गया है, क्योकि १७७४ के पदले की क्ियी हुई तो नेक झतियाँ माघ दो युदो हैं 17 [ १४] यद मति थोसानेर के सरतर झापार्ये शाखा के मग्दार में १६ प्रो को हे 1 दुपहों पय सब्या




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