रा॰ व॰ जस्टिस महादेव गोविन्द रानाड़े | R. V. Jastis Mahadev Govind Ranade
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ४ )
क्योंकि किप्तो व्यक्ति की वास्तविक योग्यता और उम्र
के आशयों की उदारता को भली भांति प्रकट करने में '
उस का नेतिक्न या गाहेस्थ्य-जीवन-क्रम ही अधिक सक्षम
ओर समर्थ हो सकता है, सावेजनिक जी वन नहीं । इस
पुस्तक्ष में महात्मा रानाड़े का गाहस्थ्य-आयुष्य-क्रम ही
चशित है; यही कारण है कि उन के साधारण जीवन-
फरेत्र को अपेक्षा कई अंशों में यह पस्तक अधिक
उपयोगी कही गई है । आशा है कि क्रेवल नेतिक
भा गाहंस्थ्य-जीवनक्रम पर ही ध्यान रखने वाले पाठक
इस परतक में बहुत अधिक कास की बातें पावगे।
श्रीमती रसाबाई रानाठे भी निस्सन्न्देह उन की ब-
हुत दी अनुकूल और योग्य धम्सपत्नी मिली थीं । यद्यपि
महात्मा रानाड़े और श्रीमती रानाडे के धाम्मिक वि-
चारों में कुछ अन्तर था तो भी जिस योग्यता पूर्वक
उन दोनों ने दाम्पत्य-थम्स का निवोह किया वह आज
कल के नये विचारों के बहुत से पुरुषों भर स्त्रियों के
लिए आदर्श हो सकता है। अनेक कठिनाइयां सह कर
भी पतिदेव की म्रसल्ता के लिए जिस प्रकार श्रीसतो
रानाडे ने विद्योपाजन क्लिया भौर नह रोशनो से चारों
ओर से घिरो होने पर भी रन्हों ने जिस प्रकार अपना
समस्त जीवन पति-सेक में व्यतीत किया बह आज कल
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