मजदूरों से | Majduron Se

Majduron Se by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूदान मजदूर-आन्दोलन १७ का इतना तो सामान्य ज्ञान होना ही चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है कि 'पर्मोज्यम्‌ सार्ववर्णिकः ।” सबके लिए समान गुण आवश्यक है, फिर भी हरएक के अपने-अपने वर्ण के अनुसार अलग-अलग गुण भी होते र । धिशेषता कायम रखते हुए सबको परिपूर्ण शानव बनाना उसका उद्देश्य है। सबको मन, हाथ, सिर आदिः सव॒ अवयव दिये हैं; इसलिए सबको सभी काम करना चाहिए | फिर भी वह किसी एक काम को अधिक समय दे सकता है । सालिक-प्रधान सजदूर, सजदूर-प्रधान मालिक मैं चाहता हूँ कि मालिक ओर मजदूर का भेद मिट जाय | इसका मतलव यह नदी कि हम मालिक कौ अक्ल का उपयोगं नहीं करना चाहते। जो मालिक होगा, वह मजदूर भी होगा ओर जो मजदूर होगा, वह मालिक भी। कुछ तो मालिक-प्रधान मजदूर रहेंगे, जो हाथ का काम करते हुए भी दिमाग के काप कों प्रधानता देंगे और कुछ मजद्र-प्रधान मालिक होंगे, जो दिमाग का काम करते हुए हाथ के काम को ग्रधानता देंगे । चुद्धि-प्रधान शरीर-अ्रम करनेवाले और श्रम-प्रधान बुद्धि का काम करनेवाले, ऐसी अवस्था समाज में होनी चाहिए। अगर भगवान्‌ यह नहीं चाहता, तो छुछ को तो वह हाथ-ही-हाथ देता ओर कुछ कों बुद्धि ही। राहु और केतु के समान सवको अपूर्ण बनाता। पर उपने सबको परिपूर्ण बनाया है, इसलिए कि सब परिपूर्ण जीवम प्रिता सकं । हु ४




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