रंग में भंग | Rang Me Bhang
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
38
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)বা অন
[ ५९१ |]
युद्ध को उच्चत हुए तत्काल राना भी बहा
रो स्का वीर फो स्मणी-स्मरण रण से नहीं ।
घ्न्य शो, तुम धन्य द्}, शरप्रली सीसोदिया,
সাহা रहते तक जिन्होंने वंशब्रत पालन किया |
[ ५२ |]
जान जामाता बहुत घरसिंद ने रोका उन्हें,
ओर शीतरू-दृष्टि से सप्र म अवजोका उन्हें |
নিত तत्दण ही उन्हें यह हो गया मासित वहाँ,
एक बार बहा जहां फिर सिन्धु स्ता है कहाँ ९
[ ५३ 1
अन्त में संग्राम में वीरत्व दिखला कर महा,
वर-समेत बरातियो ने वीर-गति पादे वद !
शूर कन्या-पत्त क भी हत अनेक हुए तथा,
हानि दोनों ओर की होती कल्दू मे सर्वेधा ||
| {|
अन्य सेवक आदि जन्म व*-पक्त के जो बच रहे,
वचन নুঘ वरसिंह ने उनसे अमयदायक कहे ।
त्राण ही करा सदा शरणागता का वीर है,
प्रोम-वैर श्रयोग्य से रखते कदापि न धीर हैं ||
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