षटप्राभ्रतादिसंग्रह | Shatprabhrutadisangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
493
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)११
क-षदटपाहुडक्की यह सटीक प्रति जो प्रायः शुद्ध है. जयपुरके लश्करीमनिदि-
रके भण्डारसे प० इन्द्रलालजी श्चाल्लीके द्वारा प्राप्त हुईं थी। यह प्राय: शुद्ध है ।
ख-यह सरीक प्रति पूनेके “ डा० भाण्डारकर प्राच्यवियासंशोधनमन्दिर सै
प्राप्त हुई थी । यह प्रायः अशुद्ध है ।
ग-यह षद्पाहुडका मूल पाठ मात्र है और बम्बईके तेरहपंथी मन्दिरके एके
प्राचीन गुटके में लिखा हुआ है ।
घ-यंह प्रति सेठ विनोदीराम बालचन्दजीके फर्मके मालिक सेठ लहालच-
न्दजी सेटठीकी कपासे प्राप्त हुईं थी । इसमें मूलके सिवाय बहुत ही संक्षिप्त
संह्कृतटीका किसी अज्ञातनामा विद्वानकी की हुईं हैं। यह वि० सं० १६१०
की लिखी हुई दे ।
लिंगप्राभ्नत ओर शीछप्राभ्षुतका संशोधन श्रीमान् पं० धन्नालालजी
काशलीवालकी एक ही प्रतिपरसे किया गया है । प्रयत्न करनेपर भी হল সাম্ব-
तकी दूसरी प्रतियों नहीं मिल सकी ।
रयणसारका संशोधन जैनेन्द्र प्रेसके अध्यक्ष पं कलापा भरमाप्रा निरते
द्वारा प्रकाशित मराठी अनुवादयुक्त प्रतिसे और बम्बईके तेरदपथी मन्दिरकी
एक हस्तङिखित प्रतिसे किया गया है । इसकी छाया नई तैयार की गई हे ।
बारह अणुबेक्खा जनग्रन्थरत्नाकर-कार्याठयकी भाषाटीकासद्दित सुद्वि.!
प्रतिपरसे छपाई गई है ।
सम्पादक महाशयने ग्रंथसंशोधन करनेमें शक्तिभर परिश्रम किया है । इ
पर भी यदि अशुद्धियाँ रह गई हों तो उनके लिए क्षमाप्रार्थना है । _
बम्बर । निवेदक-_-
( माघछुदी ९६ স্তর |; नाथूराम प्रेमी,
+ १६७७ बि० । मंत्री ।
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