नवसाक्षरोपयोगी साहित्य निर्माण गोष्ठी की आख्या | Navasaksharopayogi Sahity Nirman Goshthi Ki Aakhya

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Navasaksharopayogi Sahity Nirman Goshthi Ki Aakhya  by कमलापति त्रिपाठी - Kamlapati Tripathi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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७ ) पुस्तकों का एक सुन्दर संकलन एकत्र किया गया । इस प्रदशिनी से गोष्ठी ऊ सदस्यों को बडी सहायत। एवं जानकारी प्राप्त हुईं । गोष्ठी के सदस्या के लाभाथं ইজ शिक्षात्मक चलचित्रों के प्रद- शन भी आयोजित किये गये जिनसे उन्हें विषय-निबाचन में तो त रूप से सहायता मिली ही, विषय-वस्तु की जानकारी भी | गोष्ठी की कार्याविधि में ऐसे सांस्कृतिक कायक्रम भी आयो- जित किए गए जिनसे सदस्यो को उनके काय की गम्मीरता मे समय- समय पर मनोरंजक प्रष्ठमूमि भी मिलदी गयी | ইউ कायक्रमों ঈ दिनांक १४-२-५८ को एक काव्य-समारोह का आयोजन बड़ा ही सफल एवं उल्लेखनीय आयोजन रहा। दिनांक २५-२-५८ को हिन्दी के यशस्वी युगप्रवतेक कवि पूं० सुमित्रानंद्न पंत के कर कमलों द्वारा ग्रोष्ठी के सदस्यों को उनकी दीक्षा को समाप्ति पर प्रमाण-पत्र वितरित किए गये | कविवर पंत ने अपने दीक्ञान्त भाषण सें प्रोह् साहित्य की आवश्यकता एवं उसकी विशेष दिशाओं की ओर साहित्यकारों का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि आज का युग पूवं युग से भिन्‍न है। बीसवीं शताब्दि का अद्ध भाग दासता मे व्यतीत हु्ा । अब स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात्‌ निमांण का प्रश्न हमारे सामने है । प्रौढ साहित्य के लेखकों का कायं उतना ही महत्वपूर्ण हे जितना कि कल्पनाजीवी लेखकों का। अत प्रौढ़ साहित्य के लेखकों का परम कतेठ्य है कि वे यग की प्रगति के अनुकूल ऐसे साहित्य का सजन करे जिससे सनुष्य और मनुष्य के बीच की खाई दुर हो, इस धरती पर विश्वबन्धुत्व से पूणं सभ्यता एवं संस्कृति प्रतिष्ठित हये तथा अनेकता में एकरूपता का समावेश हय । ঘন্ব जी ने आगे कहा कि हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि यदि गाँव वालों में हृद्य-तत्व अधिक है तो नागरिकों में बौद्धिक तत्व की प्रधानता है, नागरिकों ने विज्ञान दिया है, किन्तु गाँव वाले उन्हें पालते रहे हे। यह सत्य है कि गाँव वाले बाहर से कुरूप है किन्तु वे हृदय से उज्ज्वल हैं । अतः प्रोढ़ साहित्य लेखकों को ऐसे साहित्य का निर्माण करना हे कि गाँव वाले वाह्य सोन्दर्य के प्रति भी जागरूक हों। उनमें १---कृपया देखं परिशिष्ट संख्या०००,..६घ्‌




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