प्रेमघन - सर्वस्व भाग - 1 | Premaghan Sarvasw Bhag - 1
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
48 MB
कुल पष्ठ :
668
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about बदरी नारायण उपाध्याय - Badari Narayan Upadhyay
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)के ङ
जीवन वृत्त
उपाध्याय पण्डित बदरीनारायण चौधरी সিলছল' अब्र के पूवेज जिका बस्ती.
उत्तर प्रदेश के निवासी थे। आपके पूवेजों ने खोरिया ग्राम से चल कर, युरुतानपुर
जिला के दोस्तपुर ग्राम में निवास किया ओौर फिर प्रेमघन जी के पितामह पण्डित
जगन्नाथप्रसाद ने नवाबी के समय मे जिला आजमगढ के दत्तापुर ग्राम में अपना
निवासस्थान बनाया, जहाँ पर प्रेमघन जी का जन्म भी हुआ, और उसी ग्राम की
लीला तथा एश्वर्य का वणेन उन्होने जीणे जनपद काव्य में किया है । आपका वंश.
वक्ष इस प्रकार ह --
पं० जगन्नाथप्रसाद
शीतलप्रसाद
गुरुचरणलाल
प्रथम स्त्री 7 द्वितीय स्त्री 7: तृतीय स्त्री
चन्द्रचूडप्रसाद |
चन्द्रमौलि না श्रीनिवासः
|
|
१ | २ ` ३ ४ ५ ६ ७
पं० बदरी- बासुदेव- मथुराप्रसाद यदुनाथ हरिस्चंद्र॒ अनंतप्रसाद रोचन-
नारायण प्रसाद प्रसाद प्रसादः
पं० प्रभाकरेद्वरप्रसाद
दिनेशनारायण सुरेशनारायण
एम० ए० बी० एस-सी ०, एल-एल० बी०, एडवोकेट
|
र |
राजीवरंजन बी °एस-सी° तारकेदवर सोमेदवर
पण्डित शीतलप्रसाद ओ बड़ कर्तव्य-परायण व्यक्ति थे। आपने अपने घर सेः
निकल कर मिरजापूर शहर जो उस समय कौ लक्ष्मीपुरी थी, व्यवसाय हेतु प्रस्थान.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...