महामानव | Mahamanav
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
45 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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कुश के द्र खडी शी
हत-श्री ऑँसू ले आँवल में
शून्य, भग्न, साकेत नग्र की
श्री उस नीरव पल मे
उस दिन भी, भग्मावशेष
भारत का रुदन बिचारा
खड़ा द्वार पर पंगड़ी हें
ले तप नह की
श्री का आँसू खींच हे
गया कुश का अपने द्वार
तुम्हें खींच छे चला रक्त
वह कमक्षेत्र के द्वार
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श्री के दुस्य नयनं गँ विमित
गवाक्ष थे सने
जिनकी शोभा खींच कालिमा
भर दी थी क्रन्दन नै
स्तब्घ॒पुतंलियों म॑ तिरता
पथ का सूनापन
जिन पर से फिर गयी
किसी दिन बरबादी
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