वैशेषिक दर्शन | Vaisheshik Darshan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
272
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती Swami Darshananand Sarswti
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पेशेपिक दर्शन । (१३ )
करना मुक्ति है, तो केवल उस के दूर करने को प्री पुरुषाथ
माननेमें कोई प्रमाण नहींहै, अतः छुःख दुर करनाही सुक्ति है
प्रश्न--फ्या छः पदार्थों के अतिरिक्त और कोई पदार्थ नहीं “है ?
उत्तर--संपूर्ण धस्तु जो सत्ता रखती हैं, इन छः पदाथों में आजाती
हूँ इन से पृथक कोई. नहीं रहती | 8
प्रश्त--द्वत्य किनने हैं ! ५ ˆ
उत्तर--द्व्य नौ हे, थौर वे ই ই
प्रथिव्यापरस्तेनो बयुरकाशं कालो दिगासाः
मन इति द्रव्याणि ॥ ५॥
झर्थ-पृथिवी, जल, अग्नि, धाथुं, आकाश, फाज्न, दिशा, श्र.ध्मा
छोर मसल ये नो हव्य हैं ।
त्ति” शब्दुसे यद संजित करदिया कि द्रव्य कौदी हैं थूनाधिक नहीं
সহ্ন--ই ঘী লুছ্য फेसे है, एम तो इन से अधिक भी पे हैं।
यथा-झुवरण । स फो न तो पृथिवी द्यी कह सकते हैं,
क्योंकि इस में गन्ध नहीं है । न इस को जलं कह सकते ছি,
ययोकति चिकनाहइट और वहने का गुण 'नहीं।न इंसकों
. तेज कद सकते है, पयो के इख मेँ गुत्त्य (वभ) है और
, श्रि में गुष्त्व नहीं | इसी प्रकार चांयु, आकाश, समय
, दिशा, अग्मा और मन भी नदीं कद्र सकते प्थोक्रि श्न सव,
में भी विरुद्ध गुण पाये जाते हैं । नतः सुरणं नौ से श्रलग
दसवां द्रव्य है |
उत्तर--यद आज्षिप ठीक .नहीं क्योकि खुबर्ण मिश्रित द्ध्य है भला
मिश्रित की एक ठच्य के साथ किस प्रकार तुलना हो सकती
है ? छुवर्ण में तेजका अंश अधिक है, अतः सुवणं तैजस
, कुद्ाता है ।
प्रश्न--अस्यकार अखयुक्त भी है और नय द्र॒व्यों में भी नहीं है।
शझतःवह अलग दसवां द्वठप्र क्यों.नहीं ? -
उच्चए--अन्धकार तमोगुण अर्थात् पृथिवी का धर्म है धर्म गण में
सम्मिलित होता है। ऋप) अन्धकार घर्म है दृब्य नहीं।
प्रश्न--लाइन्स वाले था और लोग भी छुं को एवर् नहीं, दन्यः
मानते हैँ । कि
चना
User Reviews
No Reviews | Add Yours...