मुस्लिम भाइयों से | Muslim Bhaiyon Se

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Muslim Bhaiyon Se by स्वामी सत्यभक्त - Swami Satyabhakt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ १९ | इस मुल्क को जीतने वाला ঘললাক্ত হা | ( ग) सूरे बकर में पुरणों के बारेसें एक आयप झाती है «यह लोग थे जो कर गुनरे, उनझा किया उनको हर सुरद रा किया तुसकों 1 हष श्रावत के अनुसार हर आदमी को खाधार सुसखमान हो पुरखों का घमंड न करके यहो दना चाहिये कि आज हम विद्या में, दीक्तर्म, पह- हैजगारीमें केसे हैं । इन बातों मे मसतमानों के पाख और सत्र हिन्दुस्ता लिर्यो के पास घमंड लायक कुछ नहों हे ओर जब নক गुत्वाम रोंगे तब सक् होगा भी नहीं 1 उम्मीद है कि घमंड की यातोंलि अब भाई भाई का दिल तोड़ने को कोशिश ने होगी | पलकों प्रीत रह एक कस बत। ! इलिय जरुरत हैं कि हिन्दू म्रसलमानों में शादीजिवाह हों 1इस লালন এ কান্না श्रद्चन भा दूर छ्ीजाय 4 जिन मसक्माना से हिन्द का खानप्रत नता षी उनमे महब्बत के साथ रोदी बेटी चालू हाता श्नि | आाजकता तवलीग आर घुद्धि के नामपर जो छीनाभायटी होती है उससे मःज्यत तो कोमसा दूर होजातठी हैं ओर दुश्मनी बढ़लातो है | इसलिये शादा विवाह सब को সা, मन्दी से द्वोना चादिये। श्राकयदा अरात श्राना चाहिये, दानों तरफ के लोग शामिल हॉना चाहिये और जेस एक जातिडी शादियों में जिन्दगी भर रिश्तेदारों निभती प त भरता भद्रिके) अगर दुल्दा के रिश्त दार शादी में दल्हा का साथ ने ६, या दृद्धिन के रिश्त दार दुल्हिन का साथ न दें तो उनकी काम के दखर आदमियों से अजकर उन्हें साथी चना#कर शादी की रश्म अ्रद्या करता चाहिये। भमत. लब यह कि पेसी शादियाँ छीनकपटकर या चुपचाप न करता चआहिये। शादी का रिवात्र तो एक ऐसा रिवाज है शिनके जारये दो इन्सान ही नहीं लेकिन दो कब्नीले दो कोमें तक म हब्बत के रंग में रधजाती हैं तब कर्यो इस महक में यह एक तरह की चोरी इकेती समझो ज,थ ? वह क्यों इस तरीके से की जाय कि उससे दर्मनी बे । [| ऐसी शादियों के ; .ये यह जरूरी हे कि दोनों एक दसरों के




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