साम्यवाद का सन्देश | Samyavad Ka Sandesh

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Samyavad Ka Sandesh by स्वामी सत्यभक्त - Swami Satyabhakt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नवयुर्कों से दी बातें. £ शील जातिया में प्रायः पैदा हुआ करते हैं, जे कवि अपने चम- कीले भड़कीले कपंडों ओर बन्दर कीसी शकल के मेले तमाशा में दिखलाया करते हैं, और जा छोटी उमर से ही किसी भी तरह सुख भागने कौ वेहदं लालसा रखते हैं । बड्कि में ते यह मानता हू कि तुम एक सहृददय व्यक्ति हे और इसी कारण में तुमसे बाते करता हूँ । में जानता हू कि तुम्हारे सामने प्रायः एक प्रश्न आया करता हे कि “हमें आगे चलकर कया करना है ˆ वास्तव में कोई भी मनुष्य अपनी युवावस्था में यही सममझकता है कि उसने बहुत वर्षों तक समाज की सहायता केश्राधार पर जिस किसी विद्या या कला का अध्ययन किया है, उसका उद्दे श्य यह नहीं है कि अपने ज्ञान को কৃ लोगों के लटने तथा अपना स्वार्थ साधन करने का ज़रिया बनाया जाय । ऐसा व्यक्ति तो अवश्य ही महाश्रब्ट है और दुगुणों से भरा है, जे यह कल्पना नहीं करता कि খাল श्राने पर वह अपनी बुद्धिमत्ता, . अपनी योग्यता ओर अपने ज्ञान को उन लोगों के अधिकार दिलाने में लगायेगा, जे कि आज दुद शा और अज्ञान में জজ पड़े हैं।. .. मेँ माने लेता हूँ कि तुम उन्हीं में से एक हो जिनके इस: प्रकार के स्वप्त आया करते हैं! क्‍या वास्तव में ऐसा नहीं है? अच्छा, तो अब हमको देखना चाहिये कि अपने स्वप्न को सत्य बनाने के लिये मुझको क्या करना आवश्यक है] `




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