भारतीय साहित्य | History Of Indian Literatre

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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~ श २ == (ख) ब्राह्मण १३७--१३८ गोपथब्राह्मण १३७ (ग) सूत्र १३८---१४० शौनकीय चतुरा यायिका १३८, अनुक्रमणी १३८, कौशिक सूत्र १३८, कल्प और परिशिष्ट १३९। उपनिषद्‌ १४०--१५७ उपनिषदों की संख्या १४१, तीन प्राचीन वेदों से संबद्ध उपनिषद्‌ १४२, अथर्वोपनिषद्‌ का तीन वर्गों में विशिष्ट विभाजन; वेदान्त, योग तथा साम्प्रदायिक <पनिषद्‌ १४२, अ>्1 वेदो से गृहं त उपनि- षदों का अथर्वत पाठ १४३, मुख्य अथर्वोपनिषद्‌ (१) वेदान्त-विषयक- भुण्डकोपनिषर १४४, प्रश्नोपनिषद्‌ १४५, गर्भोपनिषद्‌ १४६, ब्रह्मोप तिषट्‌ माण्ड्क्योपनिष र १४७, वेदान्त के शेष उपनिषद्‌ प्रा गाग्निहोत्र, आषिक० १४८, (२) योगविषयक अथर्वोपनिषद्‌-जाबार, कठश्रूति, आरुणिक, माल्खवि, तथा अन्य १४९, इस वर्ग के उपनिष्रदो का विस्तार तथा शैली १५१ (३) समम्प्रदायिक उपनिषद्‌ विष्णु की (नारायण आदि नाम से) पुजा वारे. १५२, नुरहितापनीयोपनीषद्‌ १५२, राम तापनीयोपनिषद्‌ १५३, गोपालतापनीमोपनिषद्‌ १५४, शैवमत के ` उपनिषद्‌--रतरद्रिय, कंवल्योपनिषद्‌ १५५, अथर्वशिरस्‌ १५५, रौवमत के अन्य उपनिषद्‌ १५६। द्वितीय युग--संस्कृत साहित्य <६. पर्यवेक्षण । १६१- १६९ प्रथम युग से अन्तर-- भाषा की दृष्टि से भेद १६१, इण्डो-आर्यत भाषा का क्रमिक विकास १६२, भारतीय आदि जातियों का प्रभाव १६३, लिखित भाषा का बोली से पार्थक्य- प्राचीन विभाषागत भेद १६४, जनभाषा में शिलालेख १६५, दूसरे युग की उत्तरकालीनता के आन्तरिक प्रमाण १६६, इस काल में पाठों की आलोचनात्मक अवस्था- पाण्डलिपियों का काल १६७, विष वस्तु की दृष्टि से भेद १६८, संसक्ृत साहित्य का वर्गीकरण १६९। ७. महाकाव्य १७०-- १८३ इतिहास १७०, वैदिक साहित्य में महाकाव्यीय कविता का पूर्वे रूप




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