कुआंरी धरती | Kuaari Dharti

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Kuaari Dharti by तुर्गनेव - Turgenev

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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टो ৯৬ अपने कमरे में कुछ आगसन्तुकों को देखकर वह दरवाजे पर ही ठिठक गया, फिर एक नजर उन सब पर डाली, टोपी उठाकर फेंकी, किताबें सीधे फर्श पर डाल दीं, और एक भी शब्द कहे विना पलंग के पास जाकर उसकी एक पाटी पर बेठ गया । उसके सुन्दर गोरे चेहरे पर जो उसके घु घराले वालों के गहरे लाल रंग के कारण और भी गोरा लग रहा था, असन्तोष और क्रोध स्पष्ट कलक आया था । मशूरिता ने होठ चबाते हुए अपना मुह थोड़ा-्सा फेर लिया। आास्त्रोदूमीफ ने क्रद्ध स्वर में कहा । “आखिरकार आये तो !” पाकलिन ही सबसे पहले नेज्दानौफ की ओर गाया । “क्या मामला है, अलेक्सी दिमित्रिच, रूस के हेमलेट ? क्‍या किसी ने आपको नाराज कर दिया है ? या यह अ्रकारण उदासी है ?” “दया करके बकवास वन्द कीजिये, रूस के मैफिस्टोफेलीस ! ” नेज्दानोफ ने चिढ़े हुए स्वर में उत्तर दिया । “नीरस रसिकता में में आपकी वराबरी के योग्य नहीं हूँ 1” पाकलिन हंसने लगा ।




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