सरल मानव जैन धर्म भाग 1 | Saral Manav Jain Dharma Bhag 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
68
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about मन्मथनाथ गुप्त - Manmathnath Gupta
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)का नाम है उन में भगवान ऋषभदेव को आठवां:अवब- ..... (
तार बताया गया है । এর
भगवान ऋषभदेव की ननन््दा ओर सुनन्दा नामकी
दो रानियां थीं और उन के अनेक पुत्र-पत्रियां
उन में से सबने बड़े पत्र भरत, जो रानी नन्दा के पत्र
थे, सारे भारत को जीत कर चक्रवर्ती राजा हुए और
उन्हीं के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा ।
दूसरे पत्र, जो रानो सुनन््दा के पुत्र थे, घोर तपस्या
कर के मोक्ष गए । उन की एक ५७ फुट ऊंची प्रतिमा
मेसूर राज्य के श्रवणवेलगोल नामक गांव में एक
पहाड़ी पर बनी हुई है। इस प्रतिमा को गोमटेश्वर
भी कहते हैं। यह संसार की सब से सुन्दर प्रतिमाओरं
में गनी जाती है और सारी दुनिया से यात्री उसे
देखने के लिए गाते हैं ।
भगवान ऋषभदेव के राज्य में प्रजा बड़े सुख से
रहती थी । एक दिन की वात है कि एक लड़की जिस
का नाम तीलांजना था, दरवार में नाचते-नाचते
अकस्मात् मर गई । उसकी मृत्यु से भगवान ऋषभदेव
को बड़ा दःख हुआ ओर वह অলক यए कि यह संसार
असार है और इससे छुटकारा पाने का रास्ता ढुंढ़ना
चाहिए। इसलिए भगवाव ऋषभदेव राजपाट अपने
¶
५ ७
User Reviews
No Reviews | Add Yours...