सरल मानव जैन धर्म भाग 1 | Saral Manav Jain Dharma Bhag 1

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Saral Manav Jain Dharma Bhag 1  by मन्मथनाथ गुप्त - Manmathnath Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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का नाम है उन में भगवान ऋषभदेव को आठवां:अवब- ..... ( तार बताया गया है । এর भगवान ऋषभदेव की ननन्‍्दा ओर सुनन्दा नामकी दो रानियां थीं और उन के अनेक पुत्र-पत्रियां उन में से सबने बड़े पत्र भरत, जो रानी नन्दा के पत्र थे, सारे भारत को जीत कर चक्रवर्ती राजा हुए और उन्हीं के नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा । दूसरे पत्र, जो रानो सुनन्‍्दा के पुत्र थे, घोर तपस्या कर के मोक्ष गए । उन की एक ५७ फुट ऊंची प्रतिमा मेसूर राज्य के श्रवणवेलगोल नामक गांव में एक पहाड़ी पर बनी हुई है। इस प्रतिमा को गोमटेश्वर भी कहते हैं। यह संसार की सब से सुन्दर प्रतिमाओरं में गनी जाती है और सारी दुनिया से यात्री उसे देखने के लिए गाते हैं । भगवान ऋषभदेव के राज्य में प्रजा बड़े सुख से रहती थी । एक दिन की वात है कि एक लड़की जिस का नाम तीलांजना था, दरवार में नाचते-नाचते अकस्मात्‌ मर गई । उसकी मृत्यु से भगवान ऋषभदेव को बड़ा दःख हुआ ओर वह অলক यए कि यह संसार असार है और इससे छुटकारा पाने का रास्ता ढुंढ़ना चाहिए। इसलिए भगवाव ऋषभदेव राजपाट अपने ¶ ५ ७




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