गांधी जी को श्रद्धांजलि | Gandhi Ji Ko Shraddhanjali
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
61
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य विनोबा भावे - Acharya Vinoba Bhave
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ गांधोजी को भरद्धांजलि
सेवा, भंगियों की सेवा आदि अनेक सेवा-कार्य हमारे
लिए वे छोड़ गये हैं ।
अब इस समय में अधिक कहना नहीं चाहता हूं 1
सबके दिल एक विशेष भावना से भरे हुए हैं। लेकिन
मुझे कहना यह है कि केवल शोक करते न बेठ ; हमारे
सामने जो काम पड़ा है उसमें लग जायं । यह जो में
आ्रापको कह रहा हूँ वसा ही आप मृभे भी कहें । इस
तरह एक-दूसरे को बोध देते हुए हम सब गांधीजी के
बताये काम करने लग जायं | गीता में और क्रान मैं
कहा है किं भक्त और सज्जन एक-दूसरे को बोध देते
हैं और एक-दूसरे पर प्रेम करते है। वसा हम करें।
आज तक बच्चों की तरह हम कभी-कभी भगडते भी
थे। हमें वे सम्भाल लेते थे। वैसा सबको सम्भालने
वाला अब नहीं रहा है । इसलिए एक-दूसरे को बोध देते
हुए और एक-दूसरे पर प्रेम करते हुए हम सब मिलकर
गांधोजी को सिखावन पर चलं ।
३१ जनवरी ४८ | [ प्राथंना-सभा : परंधाम
: २ :
रै
सामुदायिक पाथना
मेरी भ्राज कृ श्रधिकं कहने की इच्छा नहीं है ।
सिफं एक बात कहना चाहता हँ । हिन्दुस्तान के
ऐतिहासिक काल में जो घटना शायद कभी नहीं हुई
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