तीर्थकर ऋषभ और चक्रवर्ती भरत | Tirathkar Rishibh Aur Chakravarti Bhrat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जैन वाइमय में & सातवें कछकर श्री चक्षुष्मानू कै समय पर हुई थी 1» कुछकरों की संख्या ] कुलकरो को संख्या के बारे मे मत-मभिन्‍नता है। एववेताम्बर अंग साहित्य--ठाणाग सूत्र*, समवायाग सूत्र तथा मगवतीँ सूत्र मे सात कुलकरो का उल्लेख पाया जाता है; जिसकी पुष्टि आवश्यक चूणि, आव- हयकर नियुक्ति व त्रिपष्चिशलाकापुरुषचरित» आदि मे उत्तरवर्ती आचार्यों - १, सत्तमु चारु-चक्खु चक्खुब्मउ । तासु काले उप्पज्जइ विम्मठ। ५ , समवायाग सूत्र, सम० १५७ . जम्बूदीवेणं मन्ते | इह भारहवासे इमीसे उखप्पिणीए समाएु कद्‌ सहसा चन्द , दिवायर-दंसणे । सयं विजणु भासद्धड गिप-मणे । अहो परमेसर कुलथर सारा । कोउदहल्टु गहु एड मडारा 1 तं गिुणेवि णरादहिउ घोर । कम्म-भूमि मलद एवहि होड 1 पुव्व-विदेहे 'तिलोभाणन्दे 1 कष्ठिड आसि महु परम जिणिन्दे । | --पउमचरिउ, पठमो सधि, प° १८ जबुद्देवे २ भारहे वासे ओसप्पिणीए सत्त कुछगरा ह॒त्था--पढ- मित्य १ विमलवाहण २ चक्खुम ३ जसम ४ चउत्थममिचवदें । तत्तोय ५ पसेणइ पुण ६ मरुदेवे केव ७ नामी य । -“ठाणाग़ सूत्र, ठा० ७, उ० हे कुलगरा होत्या ? गोयमा ! सत्त 1 -भग्रवती सूत्र, हु ०५, उ०५ पत्र १२९. « पृ० २४, एलो० ८१ पर्व ३, सर्गे २, इलो० १४२-२०६




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