तीर्थकर ऋषभ और चक्रवर्ती भरत | Tirathkar Rishibh Aur Chakravarti Bhrat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जैन वाइमय में &
सातवें कछकर श्री चक्षुष्मानू कै समय पर हुई थी 1»
कुछकरों की संख्या ]
कुलकरो को संख्या के बारे मे मत-मभिन्नता है। एववेताम्बर अंग
साहित्य--ठाणाग सूत्र*, समवायाग सूत्र तथा मगवतीँ सूत्र मे सात
कुलकरो का उल्लेख पाया जाता है; जिसकी पुष्टि आवश्यक चूणि, आव-
हयकर नियुक्ति व त्रिपष्चिशलाकापुरुषचरित» आदि मे उत्तरवर्ती आचार्यों
- १, सत्तमु चारु-चक्खु चक्खुब्मउ । तासु काले उप्पज्जइ विम्मठ।
५
, समवायाग सूत्र, सम० १५७
. जम्बूदीवेणं मन्ते | इह भारहवासे इमीसे उखप्पिणीए समाएु कद्
सहसा चन्द , दिवायर-दंसणे । सयं विजणु भासद्धड गिप-मणे ।
अहो परमेसर कुलथर सारा । कोउदहल्टु गहु एड मडारा 1
तं गिुणेवि णरादहिउ घोर । कम्म-भूमि मलद एवहि होड 1
पुव्व-विदेहे 'तिलोभाणन्दे 1 कष्ठिड आसि महु परम जिणिन्दे ।
| --पउमचरिउ, पठमो सधि, प° १८
जबुद्देवे २ भारहे वासे ओसप्पिणीए सत्त कुछगरा ह॒त्था--पढ-
मित्य १ विमलवाहण २ चक्खुम ३ जसम ४ चउत्थममिचवदें । तत्तोय
५ पसेणइ पुण ६ मरुदेवे केव ७ नामी य ।
-“ठाणाग़ सूत्र, ठा० ७, उ० हे
कुलगरा होत्या ? गोयमा ! सत्त 1 -भग्रवती सूत्र, हु ०५, उ०५
पत्र १२९.
« पृ० २४, एलो० ८१
पर्व ३, सर्गे २, इलो० १४२-२०६
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