भ्रमरगीत सार | Bramar Geeta Saar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : भ्रमरगीत सार  - Bramar Geeta Saar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about रामचंद्र शुक्ल - Ramchandra Shukla

Add Infomation AboutRamchandra Shukla

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
की [ ७ ] उमंग और उद्रक के रूप में ही हैं. प्रेम भी घटनापूर्ण नहीं है। उसमें किसी प्रकार का प्रयत्न-विस्तार नहीं है जिसके भीतर नई-नई वस्तुओं और व्यापारों का संनिवेश होता चलता है। लोक-संघषे से उत्पन्न विविध व्यापारों की योजना सूर का- उद्देश्य नहीं है। उत्तकी. रचता जीवन की अनेकरूपता की ओर नहीं गई है; बाल. क्रीड़ा, प्रम/के रंग-रहस्य और उसकी अंतृप्त वॉसना तक ही रह ' गई है जीवन की गंभीर समस्याओं से तटस्थ रहने के. कारण . उस्म वह वस्तु-गांभीय्थे नहीं है जो गोस्वामी जी की रचनाओं में . ` है! परिस्थिति की गंभीरता कै. अभाव से गोपियोँ के वियोग मेँ: 'भी वह गंभीरता नहीं दिखाई पढ़ती जो. सीता के वियोग में है । उनका वियोग खाली वटे का काम सा दिखाई पढ़ता हैं। सीता ' अपने प्रिय से वियुक्त होकर कई सौ कोस दूर दूसरे द्वीप मै राक्षसो के बीच पड़ी हुई थीं ! गोपियों के गोपाले केवल दो-चार कोस , दूर के एक नगर में राजसुख भोग रहे थे । सूर का वियोग-वणेन ५» वियोग-वरणन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नंहीं। छृष्ण ` गोपियों के साथ क्रीडा करते-करते किसी कुज या भादी मे जा छिपते हैं; या यों कहिए कि थोड़ी देर के लिए अंतर्द्धान हो जाते हैं । बस गोपियाँ सूर्छित होकर गिर पड़ती हैं। उनकी आँखों से आँसुओं की धारा उमड़ चलती है। पूर्ण वियोग-दशा उन्हें आ घेरती है। यदि परिस्थिति का विचार करें तो ऐसा विरह-वर्णुन असंगत प्रतीत होगा । पर जैसा कहा जा चुका है सूरसागर प्रवंध- काव्य नहीं है जिसमें वन की उपयुक्तता या अनुपयुक्तता के निर्णय में घटना या परिस्थिति के चिचार का बहुत कुछ योग रहता है। पारिवारिक और सामाजिक जीवन के वीच हम सूर के वाल- कृष्ण को ही थोड़ा बहुत देखते हैं| ऋष्ण के केवल वाल-चरित्र का. .




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now