ईशावास्योपनिषद | Iishavaasyopanishad

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Iishavaasyopanishad by घनश्यामदास जालान - Ghanshyamdas Jalan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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৩ ॐ ৭৯, तत्तद्रक्षण नमः इंशावास्योपनिषद्‌ मन्त्रार्थ, शाह्वरमाष्य ओर माप्यार्थसहित धिता सर्वभूतानां सर्वभूतमयश्च॒ यः। शडावास्येन सम्ोध्यमीश्वरं तं नमाम्यहम्‌ ॥ दन चानि-प्रठ ३० पूण॑मदः पृणमिदं पूणाद्पूणयुदच्यते । पूर्णण्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिंष्यते ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्ति! | ॐ वह ( पह) पर्णं है ओर यहं (कार्यबरह) मी पूर्ण है, क्योंकि , पूर्णसे पूर्णकी ही उत्पत्ति होती है | तथा [परटयकार्मे] पूरण (कार्यत्रह्म] का पूर्णत्व ठेकर ( अपनेमें छीन करके ) पूर्ण [ पस्नह्म ] ही बच रहता है । त्रिविध तापकी शान्ति हो । . नग १




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