भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम | bharat ka pratham swatantrata sangram

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bharat ka pratham swatantrata sangram by रमेश सिनहा - Ramesh Sinha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वहां तड पहुंचाना और उनकी रक्षा करना होता है, तोती वा काम गाव के शन्दरूनी मामलों से अधिक जुड़ा हुआ मालूम होता है, अन्य कामों के साथन्साथ बहूं फसलों की 'ौकौदारी करता है और उन्हे मापने में मदद देता है। सीमा-कमेंचारी, जो गाव थी सीमाओं वी रक्षा करता हैं, अथवा बौई विवाद उठने पर उसके सम्च्ध में गवाही देता हैं। तालाबों और सोतों बा भुपरिस्टेडिन्ट लेती के लिए पानी बाटता है। ब्राह्मण, जो गाव थी धोर से पूजा करता है। स्टूल मारटर जो रेत के ऊपर गांव के बच्चों को पढ़ना और लिखना हुआ दिउलायी देता है । पत्रवाछा भ्राह्मण, अगवा ज्योतिषी आदि भी होता है। ये अधिकारी और कर्मचारी ही भाम सौर से गाव मा प्रबंध करते हैं। रिन्तु देश के कूछ भागी में इस प्रबंधन ब्यवस्था को विस्तार इतना नहीं होता, ऊपर बताये गये और बम में से कुछ एक ही व्यक्ति थी करने पते हैं । दूसरे भागों में इन अधिकारियों , भर क्मेचाहियों वी तादाद ऊपर सिनाये गये ध्यक्तियो से भी अधिक होती हैं। इसी सरल म्यूनिसिपल शासन के अन्तर्गत इस देश में निवासी न जानें कब से रहते आये हैं। गावों की सीमाएं शायद ही कभी बदली गयी हों, और पथपि गांव स्वयं बभीनकभी युद्ध, अराल अयवां महामारी में तंमाह आर बर्वाद तक हो गये हैं, उनके बही नाम, वही सीमाए, बढ़ी हित, और यहाँ तक की बहीं परिवार युगो-युर्गों तक भायम रहे हैं। राज्य के टूटने ौर हो जाते के सम्बंध में निवासियों ने कभी कोई चिस्ता नहीं की । जब तक गाव बूरा शा पूरा बना रहता है, वे इस बाते भी परवाढ़ नहीं करते कि बह विस सत्ता के हाथ मे 'घला जाता है, या उस पर क्सि बादशाह की हुकूमत कायम दोती है। गाव की अन्दरूनी आपिक व्यवस्था अपरिवतित ही बनी रहती है। पटेल भव भी गाव था मुखिया बना रहता है, थौर अब भी वही छोड स्यायाधीया या मजिस्ट्रेट भी तरह गांवें से मालगुजारी बम बने अथवा जमीन दी. उठाने का बम करता रहता है 1” सामाजिक संगठन है ये छोटे-छोटे एक ही तरह के रुप अंग अधिकतर मिट गये हैं, और मिटने जा रहे हैं। टवस इक्ट्रा बरतें बाले अप्रेज अपरों और अंग्रेज सिपाहियों के पाशविक हस्तक्षेप के बरण वे इतने नहीं सिटे हैं जितने कि भंग्रेंगी भाप भर अग्रेजी मुक्त व्यापार को वार्युदारियों के बारण 1 गायों मे रहने-सहने वाले उन परिवारों का आधार घरेलू उद्योग थे, हाथ से सूत जुनने, हाथ से भूत बतने और हाय से हो लेती करने के उस अनोस सपीग से उन्हें भात्म-निर्भरता की प्राप्त होती पी । क्षप्रेडों दे हस्तलेप में मूत मएतरे चठि थी छकाशायर में और बुनकर यो बंगाल में रख कर, था हिन्दुस्तानी सते है है




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