बुद्धकालीन भारतीय भूगोल | Buddhkaalin Bhartiya Bhoogol

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Book Image : बुद्धकालीन भारतीय भूगोल  - Buddhkaalin Bhartiya Bhoogol

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विहार सरकार के जन-सम्पकं विभाग ने नालन्दा, राजग, वैशारी मौर वोघ- गथा जे वुद्धकारीन प्रसिद्ध स्थानो पर कु विवरण-पुस्तिकएं प्रकालित कौ है जिन्हे निराशाजनक ही कहा जा सकता है 1 पालि विवरणो के आधार पर उनमे पुनर्जविन के सचार का कोई प्रयत्न उपलक्षित नही होत्ता । डॉ० विमलाचरण लाहा ने “भार्केलोजीकल सर्वे आव दण्डिया के विभिन्न मिमोयरो मे तथा इण्डोलोजीकल स्टडीज' (माग तृतीय) मे, अयोध्या, कपिलवस्तु, मयुरा, चम्पा, भिथिला, वंशारी, श्रावस्ती, कौशाम्बी, राजगृह तक्षशिल्ता और पाटलिपुत्र अ(दि वुद्धकालीन नगरो पर सुन्दर लेख लिखे हैं, जो पालि तथा अन्य भारतीय साहित्य सम्बन्धी स्लोतों पर आधारित हैं। इन विवरणो ' में भिन्न-भिन्न परम्पराओं को बिना काल-क्रम का ध्यान किये मिलाकर डॉ० लाहा ने कह्दी-कही उसी प्रकार की अस्तव्यस्तता मौर गडवडी पदा की है, जिस प्रकार की बुद्ध-जीवनी के सम्बन्ध में भिन्न-भिन्न परम्पराओो को बिना विवेक के मिलाकर उनसे पूर्व एच ० कर्न और रॉकहिल ने की थी, जिसे विद्वानों ने ठीक नही समझा है । डॉ० वेणीमाघव वड्‌आ लिखित “गया एण्ड बुद्धयया” (सशोधित सस्करण, कलकत्ता, १९३५) अपने विषय पर एक विशद और विद्वत्तापूर्ण रचना है, जो पालि साहित्य की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण है। वाव पूर्णचन्द्र मुखर्जी लिखित 'ए रिपोर्ट औन्‌ ए दूर आँव एक्सप्लोरेशन आऑँव दी एटीकिविटीज इन दि तराई, नेपाल, एण्ड दि रिजन ओवि कपिलवस्तु” (कल- कत्ता, १९०१) अपने विपय की एक अत्यन्त प्रामाणिक रचना है । इसमे जो निष्कर्ष निकाले गये हु, वे माज मी मान्य दहै शाक्य मौर कोलिय गणतन्त्रो के अनेक बुद्ध- कालीन स्थानों की आधुनिक पहचान' के सम्बन्ध मे उस खोजपूणं श्रतिवेदन' से अधिकं अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। और न तब तक सम्मवत कहा जा सकेगा जब तक इस क्षेत्र की खुदाई का काम अग्नसर नही होता। श्री नगेद्धनाथ घोष-लिखित “ मर्ली हिस्द्री ऑव कौशाम्बी” (इलाहाबाद, १९३५) कौशास्वी के ऐतिहासिक भूगोल पर एक सुन्दर रचना है और इसके दो परिच्डेद (द्वितीय मौर तृतीय) वुद्धकालीन कौशाम्बी से सम्बद्ध है, जहाँ पालि लोतो से मी कुछ (केवल कुछ) सामग्री सकलिति की गर्द है । यहे खटकने वाली व।त ही मानी जायगी कि कौशाम्बी के इतिहास पर लिखी जाने गालो इस परी पस्तक मे कटी सी कौशाम्बी




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