बलिदान | Balidaan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
220
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ह्य | पहला अक । ११
पर जा बैठना पड़ेगा, तो क्या इसी डरसे आज हम लड़कीको पानीमें
पीक दे तुमसे जो कुछ हो सके सो करो ।
. करु०--और तव फिर वाकी दोनों छड्किर्योका कया होगा ?
मसरी लडकीका न्याह भी इसीके साथ हो जाय तो अच्छी बात
हे । दोनमिं হী ही बरसकी तो छोटाई बढ़ाई है। हाँ, यह है कि
उसकी उठान ऐसी नहीं है, इस लिये जो चाहो सो कह लो ।
^ सर०--उन दोनों लड़कियोंके भाग्यमें जो कुछ बदा होगा सो
होगा । हिरणका व्याह अमी दो बरस तक न भी हो तो भी कोई
हर्ज नहीं है । कलके लिये घरमें अन्न नहों तो क्या इस लिये
आजका परोसा हुआ भोजन भी मिट्टी, कर दिया जाय १ बाबूजी
कहा करते थे कि यदि अच्छे पात्रको कन्यादान की जाय तो एक ही
लड़कीसे सात लड़कोंका काम निकलता है । और फिर यह भी तो
नहीं हे कि ऐसे ही दिन सदा बने रहेंगे । इनसे अच्छे दिन मी आ
सकते हैं ओर बुरे दिन भी आ सकते हैं। तुम तो मर्द हो, इस तरह
जी छोटा क्यों करते हो !
'करु०--मैं भी पहले इसी तरहकी बातें सोचा करता था; में भी
लोगोंको इसी तरहके उपदेश दिया करता था | ओर इससे अच्छे
दिन क्या पत्थर होंगे। इन दस बरसॉमें अभी तक डेढ़सो रुपए महीना
भी तनखाह नहीं हुई | तुम नहीं जानती, यह संसार बड़ा कठिन है---
इसे बन्धु-बान्धवहीन जंगल हीं समझो। यदि पहलेसे ही समझ-बूझ
कर कोई काम न किया जायगा तो पीछेसे अवश्य पछताना पड़ेगा ।
सर०--अजी यह कौन जानता है कि कलको क्या होगा !
सुख-दुःख तो इस संसारमें लगा ही रहता है । चाहे अच्छा हो
चाहे बुरा, धम्मंके अनुसार सब काम करना चाहिए । अपनी सन्ता--
नके शत्रु न बनो । यदि घर भी चला जाय तो तुप्त कुछ सोच मतः
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