भू - दान - यज्ञ | Bhu - Dan - Yagy
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
43
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)४ भू-दात-यक्ष को भूमिका
गया । परन्तु यहाँ के कम्युनिस्टों के प्रश्न के बारे में में बरा-
बर सोचता रहा । यहां की खून आदि की घटनाओं के बारे
में मुझे जानकारी मिलती रहती थी, फिर भी मेरे मन में
कभी घबराहट नहीं हुईं; क्योंकि मानव-जीवन के विकास
का कुछ दर्शन मुझे हुआ है । इसलिए में कह सकता हूं कि
जब-जब मानव-जीवन में नई संस्कृति का निर्माण हुआ हूं,
वहां कुछ संघर्ष भी हुआ है, रक्त की धारा भी बही है।
इसलिए हमें बिना घबराये शांति से सोचना चाहिए और
शांतिमय उपाय ढूंढना चाहिए ।
यहां शांति के लिए सरकार ने पुलिस भेज दी है; लेकिन
पुलिस कोई विचारक होती हैँ, ऐसी बात नहीं हैं। वह तो
दस्त्रसंपन्न होती है और शस्त्रों के जोर पर ही मुकाबला
करती हूँ ! इसलिए जंगल में शेरों के बंदोबस्त के लिए पुलिस
को भेजना बिलकुछ कारगर हो सकता हैँ और वह पुलिस
शेरों का शिकार करके हमें उन शेरों से बचा सकती है;
लेकिन यह कम्युनिस्टों की तकलीफ शेरों की नहीं, मानवों
की है । उनका तरीका चाहे गलत क्यों न हो, उनके जीवन
में कुछ विचार का उदय हुआ हैं, और जहां विचार का
उदय हुआ होता है, वहा सिर्फ पुलिस से प्रतिकार नहीं हो
सकता । सरकार यह बात जानती हूँ | बावजूद इसकं, अपना
कत्तेव्य समझकर सरकार ने पुलिस की योजना की हैं।
इसलिए में उसे दोष नहीं देता।
विचार-शोधन का प्रमुख साधन : चरैवेति
तो में इस तरह प्रस्तुत समस्या के बारे में सोचता था
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