आत्मज्ञान और विज्ञान | Aatm Gyan Aur Vigyan

Book Image : आत्मज्ञान और विज्ञान  - Aatm Gyan Aur Vigyan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आचार्य विनोबा भावे - Acharya Vinoba Bhave

Add Infomation AboutAcharya Vinoba Bhave

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
परे ग्रात्सज्ञान श्र विज्ञान हुस सत्याग्रह के बारे सें भी सतत सोचते रहे श्रौर हमें कई बातें सत्या- ग्रह-विचार की दृष्टि से सून्नीं ौर उनका जगह-जगह विभिन्न सौकों पर उच्चारण भी हुआ । फिर आप जानते हैं कि निकला तो उसकों हमने विश्व-सन्दर्भ में देखा । जिस दिन हमको प्रथम भूदान मिला उस दिन हसने हिसाब तो भारत का किया कि इतने बड़े पैमाने पर काम होगा तब काम सफल होगा लेकिन हमारे चिन्तन का सन्दर्भ विश्व का सन्दर्भ था । यह एक ऐसी चीज हाथ में ग्रायी है जिसको झ्रगर हम ठीक ढंग से पकड़ते हैं और ठीक ढंग से उसको चलाते हैं तो इसमें से विश्व- शांति और विश्व-कल्याण का रास्ता निकलेगा ऐसा हमें लगा । इस लिए हमने उस कार्यक्रम को भगवत्प्रेरणा समझकर उठा लिया । पाँच- छह साल के झनूभव झ्राये । उसके वाद हमें लगा कि काम तो भअ्रच्छा है और लोगों का सहयोग भी है । लोगों के चित्त के अन्दर जो अच्छाई है वह इससे बाहर श्राती है । भ्रच्छाई को वाहर का सौका मिलता है यह ठीक है लेकिन इसको श्ौर किसी चीज की जरूरत है कि जिससे इसको वेग सिले इसमें गति झ्रायें । यों सोचकर हमने पाँच-छह की स्थापना की । आश्रम की अभी एक बहन ने हमसे एक सवाल पूछा कि आपके विचार संस्था के अनुकल नहीं थे तो फिर ये पाँच-छह संस्थाएँ कैसे बनायीं ? तो में उसका उत्तर देता हूँ कि दुनिया की भाषा में जो संस्था होती है वेसी ये संस्थाएँ नहीं हैं लेकिन यह तो व्यवस्था वनायी है शिक्षण-योजना बनायी है जहाँ कुछ शिक्षण होगा । हमारी सब संस्थाओं के मूल में यह विचार रहा. कि विज्ञान और आत्मज्ञान के समन्वय का शिक्षण चित्त को मिले । और ये संस्थाएँ ऐसी स्थिति में हैं कि उसका समाज पर या चित्त पर कोई शार नहीं है । नौ साल पहलें समन्वय-झ्रा्मम की स्थापना हुई और काफी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now