बापू के पत्र मीरा के नाम | Bapu Ke Patra Meera Ke Naam
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
393
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)८९
[ अन दिनो वधम विनोबाका अक ब्रह्मचारी आश्रम था। वहु
असी स्थान पर था, जहा आजकल महिलाश्रम है। और बापू
काग्रेसके अधिवेशनमें जानेसे पहले हर साल वहा कुछ दिन आरामके
लिओ जाते थे।]
वर्धा,
सोमवार, ६-१२-२६
चि० मीरा,
मुझे अम्मीद थी कि आज तुम्हारा पत्र आयेगा। तुम्हारे नाम
मेरा यह दूसरा पत्र है। पहला कार्ड था। में देखता हूं कि अगर
“आत्मकथा ” सोमवारकों लिखी जाय, जेंसा कि मेने किया है, तो
तुम्हारे पास भेजी जा सकती है। जिसलिओं यह लो असका
अनुवाद। जिसे दुरुस्त कर देना और असी दिन डाकमे डाल
देना । अस सूरतमे वह॒ समय पर पहूच जायगा! असी दिन न
देख सको तो सीधे स्वामीके पासं भेज सक्ती दहो। वह तुम्हारे
पास बुधवारको पहुचना चाहिये। ओर गुरुवारको भी डाकमें
पड़ जाय, तो मुझे शनिवारकों समय पर मिल जाना चाहिये । यहा
य० भि०* के लिओं अहमदाबादकी डाकका आखिरी दिन रविवार है।
अबे तुम्हे मालूम हौ गया होगा कि तुम क्या कर सकती हो | यह
बन्दोबस्त तब तक रहेगा जब तक मे यहा हू।
यह लो रोलाका खत। चिड़िया ने मुझे अुसका अनुवाद कर
दिया है। वह यह रहा। अगर तुम्हारे खयालसे यह ठीक हो तो तुम्हे
मेरे लिओ फिरसे अनुवाद करनेकी जरूरत नही ।
प्रेम,
बापू
শপ শা আপা সপ সপ লাস উশস্প পপ সদ আন
| # “यग জিভিযা
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