दुलारे दोहावली | Dulare Dohawali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
196
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्रीदुलारेलाल भार्गव - Shridularelal Bhargav
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२४ दुलारे-दोहावली
आयः होते ही नहीं । दूसरे प्रकार के शब्द ध्वनि-अनुकरण के संकेत
को बतलानेवाले नहीं होते । इनके स्थान में अन्यान्य पर्यायवाची
शब्दों का प्रयोग किया जा। सकता है। जेसे--'छिपि जाय! को
हम “ुरि जाय, “लुप्त हो जाय, अंतर्द्घन हो जाये, “अप्रकठ हो
जायें” आदि के प्रयोग द्वारा सहज ही प्रकट कर सकते हैं, पर
“छुनछुनाय” का सदा-सबंदा एक ही निश्चित, नियत अर्थ रहेगा ।
अर्थ-भेद में वाच्यार्थ
शब्द तीन ग्रकार के होते हैं--( १ ) वाचक, ( २ ) लक्षक
ओर ( ३ ) व्यजक | इनकी उन शक्तिप्रों को, जिनसे ये जाने जाते
हैं, क्र से ( १ ) अभिधा, ( २ ) लक्षणा और ( ३ ) তলা
कहते हैं । इनके अर्थ भी तीन प्रकार के होत ह -( १ ) वाच्यार्थ,
( २ ) लक्ष्यथं ओर (३ ) व्यंग्याथें। जो शब्द परंपरा-मूलक
सांकेतिक श्रथ को प्रकट करे, उस्र वाचक योर उसके यथं को वाच्यां
कहते हैँ । साहित्यदपैखकार कविराज विश्वनाथजी का मत है -
तत्र सांकेतिकाथ श्य बोघनादग्रिमामिधा । (सा० श्र° ६, प्र०२८)
अर्थात् “वहाँ सांकेतिक अर्थ के बोध के कारण प्रथम श्र्थात्
अभिधा है ।”
इनके इस मत से वाचक शब्द सांकेतिक अर्थ प्रकट करता है ।
संकेत ॒श्रौर अभिधा पर्याथवाची शञ्ड है । न्याय-शाघ्च सै शक्ति फे
विषय मे कहा है--
अस्मालदादयमर्थों बोधव्य इतीश्वरसंकेव: शक्ति: |
अथोत् “इस पद से यह अर्थ जानना चाहिए, ऐसा जो ईश्वर का
किया हुआ संकेत है, वह शक्ति है ।” |
वाच्यार्थ के मुख्यार्थ, नामाथें और अभिवेयारथ आदि पर्यायवाची
शब्द हैं। अभिधा के इस संकेत का अहण चार प्रकार से होता है -
( $ ) जाति के नाम से, ( २ ) स्वतंत्र नाम से, ( ३ ) धर्मी के
User Reviews
No Reviews | Add Yours...