वेणी संहार नाटक | Beni Sahaar Natak

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Beni Sahaar Natak by महावीर प्रसाद द्विवेदी - Mahavir Prasad Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पहला परिच्छेद 1 डे चाँच्ें गांव का नाम उन्होंने नहीं बताया । स्िफो यह कहा हैं कि बांचवे की जगह कोई भी ग्राम दे देता । यहाँ कोई से उन का डासिधाय झाम शब्द के पशले सं उपसर्भ जोड़ देने से है। मतलब यह कि पांचवें गाँव के बदले उस्होंने संग्राम मांगा हैं और यह सूचित किया हैं कि युद्ध में तेरा पराजय करके तेरे सारे छुदत- कप श्ौर झत्याय का बदला हम लोग चुका लेंगे । सीस - अच्छा तो इस बखेड़े से कया लाभ दोगा? सहदेव-- झार्थ्य इससे यह घ्रकट हो जायणा कि हम लोग अपने बन्धु बान्घ् का युद्ध में नाश करनी उचित नहीं समझते । इससे यह सी संघ पर चिदित हो जायगा कि जहां तक सस्मव था युधिष्टिर ने युद्ध शेकने की ला की । फिर भी जो सस्ि नहीं हुई तो इस्समें हम लोगों का कोई दोप नहीं सोम-- यह सब बेकार हैं। कौरवों से सन्घि होना सस्मव नहीं । सन्घि की झसस्मवनीयता तो तभी शात हो गई थी जब बन को स्थान करते समय हम लोगों ने कुरुछुल के संहार की प्रतिज्ञा की थी । विश्वास रक्खों घुतराष्ट्र के बंश का झावश्य ही नाश दोने वाला हैं भीमसेन के मुंद से ऐसे ग्ेदूणं बचन श्र ऐसी विकट फटकार खुलकर सहदेव ऊछ लडित से दो यये 1 उनकी यह दशा देख भ्रीम राज कर बोखे-- कुरुऊुल का नाश होने से सर्थसाघारण के सामने मुंह दिखाने में तुम




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