आठ एकांकी | Aath Akanki
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संपक 8
यह चंपक | इसे भी अब दूर कर किसी दूसरे मीठे स्वर की खोज
करूगा। ` [ गंभीर सुद्धा ¦
शक तला-[ विस्मय से | आप वास्तव में कवि टै रौर जीवन
के महान् कवि हैं ।
सालती-सचसुच ।
किशोर--में अपनी प्रशंसा नहीं सुनना चाहता। आप मेरे
चंपक को लेंगी ?
शकु तला---आपकी कहानी सेतो चंपक का मूल्य बहुत
बद गया । श्रव तो सें अवश्य लेगी ।
किशोर-- गंभीर स्वर में जेसे पिछली बातों को नेत्रों से देख रहा
ভী। ) कई ख़रीदने वाले आए, पर मैंने उन्हें न दिया, यद्यपि वे
इसकी बड़ी ऊँची क़ीमत लगा रदे थे] मेने सोचा, किसी देसे व्यक्ति
कोद, जो चंपक का मूल्य समके। आपके हृदय ने मेरे चपकको
पहचाना हं । सुझे लाभ ही क्या होता, यदि ऊँची क़ीमत देकर वे
लोग मेरे चंपक को दःख से रखते या उस प्रकार न रखते, जिस
प्रकार में चाहता है । चंपक की संभवतः फिर पहले-जेसी दशा हो
हो जाती । सुमे क्रीमत प्यारी नहीं हैं सुके अपनी चीज़ प्यारी है, वह
भी बेची जाने वालः । श्राप मेरा आशय समम হী হই?
शकु तला-| उत्साह से ] हँ, मैं श्रापके इयय को समम रही
हूँ । दीजिए यह चंपक मुझे। [ मालती की ओर देखकर | मालती
उठा ल्लो यह प्यारा चंपक । इसे हम लोग बहुत प्यार से रक्खगे ।
में कवि के समान तो शायद प्यार न कर सकूँ, पर... ।
[ मालती चंपक को उठाती है । |
किशोर--नहीं, आप मेरे ही समान मुझे से अधिक प्यार कर
सकेगी | आपके पास स्थत्री-हृदय है, जिसमें करुणा असत बनकर
बहा करती है।
शकु'तला--[ लज्जित होकर | धन्यवाद ? (चंपक को छूते हुए,
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