भारतीय इतिहास की रूपरेखा | Bharatiy Itihas Ki Ruparekha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १). विश्वास रहा हो । प्रो० सरकार ' और डा० रमेश मजुमदारः दोनो को: इस क प्रतिवाद्‌ करना पड़ा है । मध्य. युग के हिन्दू मुसलभानों से क्यों हारते रहे, इस सम्बन्ध. में स्मिथ ने जो कुछ लिखा है बह उन के उथले विचारों तथा उन. की घटनाओं के व्याख्याकार-रूप में कमज़ोरी' का एक ओर नमूना है। उस की भआलो- चना करते हुए डा० देवदत्त भण्डारकर को स्मिथ की सूक पर तथा उन के मोटी मोटी घटनाओं को भी न समझ सकने पर आश्चये करना पड़ा, और यह कहना पड़ है कि मोट स्टुअट एल्फिन्स्टन की दृष्टि स्मिथ से अधिक विस्तृत थी। यहाँ तक कि स्मिथ का कथन ऐसा है 'जो इतिहास की घटनाओं की रोशनी में किसी तरह समभ में नहीं आ सकता ।!* आधुनिक खोज के आधार पर भारतवषे का सब से पहला इतिहास लिखने की सहज कीर्ति जिस व्यक्ति को मिलती, उस ने तुच्छ पक्षपात ओर संकोणेता के कारण उस कीर्ति में बट्टा लगा लिया, यह बात वस्तुतः खेदजनक है । में स्वयं स्मिथ के विषय में काफ़ी कड़ी बातें लिख चुका हूँ, पर अब मेरे विचार उन के विषय में पहले जैसे नहीं हैं । तीस-पंतीस करोड़ भारतवासियों १. पोलिटिकल्न इन्स्टीट्यूशन्स एंड थियरीज़ श्राव दि हिन्दूज़ ( हिन्दुओं की. राजनैतिक संस्थायें झोर स्थापनायें ), लाइपज़िग ( जमेनी ), १६२२, प्रृ० २४ । २, আআ बरि० श्रो रि० सो० १६२३, १० ३२४-२९। ই, पेनरस श्राव दि भण्डारकर इन्स्टीय्युट (भण्डारकर-संस्था की पत्रिका), १६२६. ए० २६.२८ । ४, वहाँ, ११३०, ए० १४६ | ५. भारतवर्ष का एक राष्ट्रीय इतिदास' ( नाला लाजपतराय के इतिहास की आलोचना, जो कि स्मिथ की नकल है )--माधुरी १६८३. पृ« १६२ प्र। प्राचीन भारतीय भलुश्रुतिगम्य इतिहास”--सरखती १६२७, पृ० २११। भारतभूमि, হও 5०३ ।




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