पालि साहित्य का इतिहास | Pali Sahitya Ka Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7.41 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पालि साहित्य का इतिहास प्र
(११) श्रीमती रायस डेविड्स के अचुसार जब त्रिपिटक लिखे नहीं गए थे
तो पालि या पंक्ति शब्द से मर्थ था--पठित पंक्ति । लिखित रूप में आने पर
' लिखित पंक्ति. से अर्थ लिया जाने लगा होगा ।
(१२) ए० बेरिमिडल कीथ महोदय के अचुसार--
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भर्थातु--बुद्धभाषा जो कि श्रिपिंटक में भाती है, निस्सन्देहू शिक्षित
समाज की बोलचाल की भाषा थी, जिसका गठन भारत के शिक्षित समुदाय
के ध्यवहार की की दृष्टि से ही हुआ था ।
(१३) एच० पी० चुद्धदत्त घारा के अनुसार--
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पं० बटुक नाथ धार्मा ने भी 'पालि जातकावलि” की भूमिका में लिखा है
कि पालि भाषा है जिसमें बौद्ध ग्रंथ, लिखित, हैं । पहले ' सुल ग्रंथ तथा बाद में
' सूलग्रंथ की भाषा के अर्थ को चोतिंत करने लगा ।
निश्चित रूप से सभी मत-मतान्तरों का विवेचन करने के पश्चात् पं० बटुक
नाथ जी के मत से ही सहमत होना पड़ता-है कि, पालि भाषा है । बौद्धों के
घर्मे ग्रंथ इसी भाषा में लिखे गए । पहले यह केवल मुल ग्रंथों की परिचायिका
थी किन्तु कांलान्तर में सुल ग्रंथों की भाषा भी इससे ययोतित होने लगी ।
प्रश्त--'पालि क्रेवल बौद्ध धर्म की भाषा -थी ।' इस उक्ति की
मीमांसा करते हुए उसके समय और विस्तार पर प्रकाश डालिए
अथवा ..
पालि भाषा की उत्पत्ति एवं प्रदेश के सम्बन्ध में समस्त मतों का
सर्वा गीण विवेचन कीजिए
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