हिन्दू काव्या मे निर्गुण सम्प्रदाय | Hindi Kavya Me Nirgun Samprday

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( न ) प्रति सम्मान प्रदर्शित करनेवाले दादू-पंथ एवं साधु-सम्प्रदाय की ও কধাঘনা দুই খী 1] एक निवन्ध में जो काशी नागरी-प्रचारिणी-स्रमा के ( दिम्नस्वर सन्‌ १६९३० वाले ) भविवेशन में पढ़ा यया था और जो पीछे से उको पथिका ( नागरी-प्र्ारिणी-पतिष्त' मा० १९. सं० ४, माघ वि० सं० १६८७ ) में प्रकाशित हुआ था, मेने पहले- - पहल दिखलाया था कि इस प्रकार का सम्वन्ध इन दोनों के बीच झवश्य रहा होगा। मुझे इस वात की प्रसन्नता हैं क्कि इस सम्बन्ध , के विपय में प्रकट की गई मेरी सम्मति के साथ हिंदी के विहान्‌ व्यापक : रूप से सहमत हं 1 प्रस्तुत ग्रंथ में मेने उस सम्बन्ध को पूर्ण रूप से प्रतिपादित कर देने की चेप्टा की है 1 नि~ £ রী परन्तु इस वात के कारण यह कदाचित्‌ सरलतापूर्वक समफ्त लिया *' जा सकता है कि'निर्गुणमत झौर विशेषकर कवोर की विचारघारा' फे निर्माण में स्वामी रामानन्द का हाय कमे रहा होगा और काल- गणना के कारणु उपस्थित होनेवाली कठिनाई से लोग इस परम में: पड़ सकते हे कि इस चंभ्रदाय के साथ उनका कुछ भी सम्बन्वन या! - कितु ऐसा मान लेना सत्य के नितांत प्रतिकूल जाना होगा, क्योकि ~ रामानन्द मेही भ्राक्र नाथमत एवं बैप्णाव संप्रदाय का स्पप्ट सम्सिलन हुप्रथा |. , জাল धरयो कर बोध दियो गुर [ दादू ] जो मन गोरख सेसा॥ दादू-शिष्य साधोदास का 'सदूगुणंसागर! ( ८-२३ ) देखिये प्रस्तुत पुस्तक का परिशिष्ठ वीसरा | _' (-इस वात, के प्रमाण में रामानन्द रचित समझे जानेवाले और - दाफोर से भ्रकाशित्र हुए सिद्धोतपटलः , का डद्रण दिया -জা सकता हूं जिससें दंष्णघों के सालिमराम, की स्थापना प्रिकटी ५




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