हिन्दू काव्या मे निर्गुण सम्प्रदाय | Hindi Kavya Me Nirgun Samprday
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
511
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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प्रति सम्मान प्रदर्शित करनेवाले दादू-पंथ एवं साधु-सम्प्रदाय की ও
কধাঘনা দুই খী 1] एक निवन्ध में जो काशी नागरी-प्रचारिणी-स्रमा
के ( दिम्नस्वर सन् १६९३० वाले ) भविवेशन में पढ़ा यया था और
जो पीछे से उको पथिका ( नागरी-प्र्ारिणी-पतिष्त' मा० १९.
सं० ४, माघ वि० सं० १६८७ ) में प्रकाशित हुआ था, मेने पहले- -
पहल दिखलाया था कि इस प्रकार का सम्वन्ध इन दोनों के बीच
झवश्य रहा होगा। मुझे इस वात की प्रसन्नता हैं क्कि इस सम्बन्ध ,
के विपय में प्रकट की गई मेरी सम्मति के साथ हिंदी के विहान् व्यापक :
रूप से सहमत हं 1 प्रस्तुत ग्रंथ में मेने उस सम्बन्ध को पूर्ण रूप से
प्रतिपादित कर देने की चेप्टा की है 1 नि~ £ রী
परन्तु इस वात के कारण यह कदाचित् सरलतापूर्वक समफ्त लिया *'
जा सकता है कि'निर्गुणमत झौर विशेषकर कवोर की विचारघारा'
फे निर्माण में स्वामी रामानन्द का हाय कमे रहा होगा और काल-
गणना के कारणु उपस्थित होनेवाली कठिनाई से लोग इस परम में:
पड़ सकते हे कि इस चंभ्रदाय के साथ उनका कुछ भी सम्बन्वन या! -
कितु ऐसा मान लेना सत्य के नितांत प्रतिकूल जाना होगा, क्योकि ~
रामानन्द मेही भ्राक्र नाथमत एवं बैप्णाव संप्रदाय का स्पप्ट सम्सिलन
हुप्रथा |.
, জাল धरयो कर बोध दियो गुर [ दादू ]
जो मन गोरख सेसा॥
दादू-शिष्य साधोदास का 'सदूगुणंसागर! ( ८-२३ ) देखिये प्रस्तुत
पुस्तक का परिशिष्ठ वीसरा | _'
(-इस वात, के प्रमाण में रामानन्द रचित समझे जानेवाले और -
दाफोर से भ्रकाशित्र हुए सिद्धोतपटलः , का डद्रण दिया -জা
सकता हूं जिससें दंष्णघों के सालिमराम, की स्थापना प्रिकटी
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