संचिता | Sanchita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
236
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दया क्षमा ममता आदिक हैं,
तेरे रतां के भाण्टार;
हैं निमल जल, शुद्ध वायु ही,
तेरे जीवन के उपहार |
छल से रहता दूर किन्तु तू,
बल-पोरुष ,, में हे भरपूर;
तेरे जीवन-धन हैं जग में,
बस किसान एवं मज़दर ।
कोयल तुभे सुना जातौ है,
मधुमय ऋतुपति का सन्देश;
खेतों मे पोघे उग-उग कर,
देते हैं तुकका उपदेश |
जग को जगमग करनेवाला,
है तुकमें न प्रकाश महान;
पर मिट्टी के ही दीपक से,
रहता है तू ज्येोतिष्यान ।
9
आस
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