स्वामी समन्तभद्र | Swami Samantbhadra itihas
श्रेणी : इतिहास / History, धार्मिक / Religious
लेखक :
आचार्य जुगल किशोर जैन 'मुख़्तार' - Acharya Jugal Kishor Jain 'Mukhtar',
नाथूराम प्रेमी - Nathuram Premi
नाथूराम प्रेमी - Nathuram Premi
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.89 MB
कुल पष्ठ :
276
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
आचार्य जुगल किशोर जैन 'मुख़्तार' - Acharya Jugal Kishor Jain 'Mukhtar'
जैनोलॉजी में शोध करने के लिए आदर्श रूप से समर्पित एक महान व्यक्ति पं. जुगलकिशोर जैन मुख्तार “युगवीर” का जन्म सरसावा, जिला सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। पंडित जुगल किशोर जैन मुख्तार जी के पिता का नाम श्री नाथूमल जैन “चौधरी” और माता का नाम श्रीमती भुई देवी जैन था। पं जुगल किशोर जैन मुख्तार जी की दादी का नाम रामीबाई जी जैन व दादा का नाम सुंदरलाल जी जैन था ।
इनकी दो पुत्रिया थी । जिनका नाम सन्मति जैन और विद्यावती जैन था।
पंडित जुगलकिशोर जैन “मुख्तार” जी जैन(अग्रवाल) परिवार में पैदा हुए थे। इनका जन्म मंगसीर शुक्ला 11, संवत 1934 (16 दिसम्बर 1877) में हुआ था।
इनको प्रारंभिक शिक्षा उर्दू और फारस
नाथूराम प्रेमी - Nathuram Premi
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पितृकुल और मुरुकुछ । दर हैं उसी प्रकार ७९ वें 4 पयमें उन्होंने ध्वंसमानसमानस्तत्रासमा- ससे विज्षेपणके द्वारा अपनिको उल्लेखित किया है । इस विशेषणसे माइम दोता है कि समन्तमद्रके मनसे यद्यपि त्रास उद्देग-विछकुल नष्ट अस्त नहीं हुआ था-सत्तामे कुछ -मौजूद जरूर था-किर भी वह श्वंसमानके समान हो गया था आर इस छिये उनके चितको उद्दे जित अयवा संत्रस्त करनेफ्रे लिये समर्थ नहीं था । चित्तकी देसी स्थिति बहुत ऊँचे दर्ज पर जाकर होती है और इस छिये यह विशेषण भी समन्तभद्रके मुनिजीवनकी उत्कष्ट स्थितिको सूचित करता है और यह बतलाता है कि इस प्रंथकी रचना उनके सुनिजी- अनमें हो हुई है । टीकाकार नरसिंदमदने भी प्रथम पद्यकी प्रस्तावनामें श्रीसमन्तमद्वाचार्यविरचित छिखनके अतिरिक्त ८४ वें प्यमें आए हुए कऋद्ध विदोपणका अर्थ चृद्ध करके और ११५ वें पथके चन्दीशूतवतः पदका लर्थ संगलपाठकी भूतवतोपि नमाचा- येरूपेण भवतोपि मम ऐसा देकर यहीं सूचित किया है कि यह अंय समन्तमद्के मुनिजीवनका बना हुआ है । अस्तु । स्वामी समन्तमद्रने गृहस्याश्रममें प्रवेश किया और बिवाह कराया या कि नहीं इस वातके जाननेका प्रायः कोई साधन नहीं है | हूँ यदि यद्द सिद्ध किया जा सके कि कदम्बवंशी राजा शान्तिवर्मा और शान्तिवर्मा समंतभद्र दोनों एक ही व्यक्ति थे तो यदद सदजहीमें वतलाया जा सकता हैं कि मापने गहस्वाश्रमकों धारण किया था और विवाद भी कराया था | साथ दी यह भी कहा जा सकता है कि आपके पुत्रका नाम पे यद पूरा पथ इस प्रकार दे... नल रैचसमान समानन्दया मासमान स माइनघ 1 ध्यंसमानसमानस्तथघ्रासमानसमानतमू पे
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