हिन्दी काव्य - कुसुमांजलि | Hindi Kavya Kusumanjali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्र
१--रामकाव्य का वण्यं विषय विष्णु के राम रूप की भक्तित है #
रामानन्द द्वारा प्रचारित विशिष्टाद् त के आधार पर इसका
विकास हुआ । द
२--समस्त राम-काव्य की रचना, दोहा, चौपाई में ही श्रधिक
हुई । साथ ही साथ क् डलियाँ, छप्पय, सोरठा, सवेया, घना-
क्षरी, तोमर और त्रिभंगी छन्दों का भी कवियों ने प्रयोग
किया ।
३--समस्त राम-काव्य प्रधानतः भ्रवधी भाषामें रचा गया। किन्तु
अवधी के साथ-साथ ब्रजभाषा का प्रयोग भी यथेष्ठ रूप में
हुआ। .
४--राम-काव्य में नव रसों का प्रयोग बड़ी कलात्मकता के साथ
हुआ । किन्तु प्रधानतः शन्तश्रौरश्युगाररसकीरही। `
५--राम-काव्य में राम के शक्ति, शील और सौन्दय तीनों गुणों
की प्रतिष्ठा हुई ।
६--राम-काव्य ने सामाजिक क्षेत्र में संयम, श्राद्श और महान्
जीवन मूल्यों का प्रतिपादन किया ।
७--राम-काग्य ने भत मतान्तरों ्रौर सामाजिक क्षेत्रों में फैली
विषमताओं का समन्वय रामकथा के माध्यम से बड़े सुन्दर ढंग
से हुआ है ।
८---राम काव्य में प्रबन्ध श्रौर मुक्तक दोनों शैलियों मे रचना
हुईं । रामकाव्य के प्रतिनिधि कवि तुलसी है जिनका परिचय
दिया गया है ।
कृष्ण-भक्ति शाखा--मध्यकालीन समस्त कृष्ण-भक्ति कन्य का
श्रेय बल्लमाचायं को ही जाना चाहिए.क्योकि उन्ही के प्रचारित सिद्धांतों
पर सुरदास तथा कूष्ण-मक्त कवियों ने रचना की । उन्होने ब्रह्मसूत्र,
उपनिषद् तथा गीता पर भाष्य लिखा भ्रौर शुद्धाद्रंत का प्रतिपादन किया ।
कृष्ण को पुरुषोत्तम मानकर उसे पूणं ब्रह्म के रूप में प्रतिष्ठित किया ।
बल्लभाचायं का मत जिसे दशन के क्षेत्र में शुदधादरैत कहते है, भक्ति के
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