अपनी - अपनी बीमारी | Apni Apni Bimari

Apni Apni Bimari by डॉ हरिकृष्ण देवसरे - Dr. Harikrashn Devsare

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हरिशंकर परसाई - Harishankar Parsai

Add Infomation AboutHarishankar Parsai

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
पुराना खिलाड़ी. है काम मागेंगे । साधारण आदमी ऐसा ही होता है। इते गिने मुस आप जंसे लोग होंगे जो काम नहीं करेंगे। हमारा पालन उन घटिया बहुसब्यको के उत्पादन से होगा 1 वह अपने संविधान से बहुत सतुष्ट था । एक दिन वह एक फोटोग्राफ लेकर माया । फोटो में वह संविधान प्रधानमत्री को दे रहा है। वोला-- मैंने संविधान प्रधानमत्री को दे दिया । आश्वासन दिया है कि जल्दी ही इसे लागू किया जाएंगा। सरदारजी ने कहा--आजकल फीटों पर जिदा है। प्रधानमत्री से मिल आया है । उसकी बीवी घर भाग रही थी सो थम गई है । इस फोटो को अच्छे घघे मे लगाए तो अच्छी कमाई वर सकता है। मगर वह जिंदगी भर रिटेल करता रहेगा । २-३ महीने उसने इतद्ार किया। सविधान लागू नहीं हुआ । वहू अद फिर परेशान हो गया। सरकार झूठ पर जिंदा है। मुझे प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया था कि जल्दी ही वे मेरा सविधान लागू करेंगे पर अभी तक ससद को सुचना नहीं दी । अधेर है। मगर मैं छोड्‌गा नही । एक दिन सरदारजी ने बताया--पुराना खिलाड़ी ससद्‌ के सामने भन शन पर बैठ गया है। राम घुन लग रही है । बीवी गा रही है--सबको समति दे भगवान । इसे सबकी वया पड़ी है? यही क्यो नहीं कहती कि मेरे घर वाले को स मति दे भगवान तीसरे दिन उसे देखने गया । वह दरी पर बैठा था । उसका चेहरा सोम्य हो गया था । भुख से आदमी सौम्य हो जाता है। तमाशाइयो को वहू बडी गम्भीरता से समझा रहा था--देवो इ सान आजाद पदा होता है मगर बहू हर जगह ज़जी रो से जकडा रहता है । मनुष्य ने अपने को राज्य को क्यो सौपा इसलिए न कि राज्य उसका पालत करेगा। मगर राज्य की गर जिम्मेदारी देखिए कि मुझ जैसे लोगो को राज्य ने लावारिस की तरह छोड रखा है। नधथिंग दिल चेंज अडर दिस का सटीटयूशन मेरा सविधान लागू करना ही होगा । लेक्नि इसके पहले राज्य को फौ रन मेरे पालन की व्यवस्था करनी होगी । यही मेरी मागे हैं। सरदारजी ने उस दिन कहा था--बिजली मडरा रही है बाइशाओ 1




User Reviews

  • Anup

    at 2019-01-14 12:30:23
    Rated : 9 out of 10 stars.
    "हरिशंकर परसाई की व्यंग्य रचना"
    इस पुस्तक के रचनाकार 'हरिशंकर परसाई' हैं अतः लेखक के नाम के स्थान पर हरिकृष्ण देवसरे का नाम उद्धृत है कृपया उसे हटायें। दूसरा, यह एक व्यंग्य कहानी संग्रह है अतः इसे 'व्यंग्य रचनाओं' में श्रेणीबद्ध किआ जाए।
Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now